योगी सरकार ने सत्ता में आते ही इसका एलान कर दिया था। अवैध बूचड़खानों को बंद करने का सवाल उठा कर उन्होने मुसलमानों के प्रति हिंदुओं में पहले से मौजूद संदेह को बड़ी आवाज़ बनाने का प्रयास किया था। उसके परीक्षण का समय अब आ गया है।
सबसे पहले मौक़े पर पहुँचे स्याना के तहसीलदार राजकुमार भाष्कर ने कहा, 'जिस तरह गोवंश के शरीर के टुकड़ों को गन्ने के खेतों में बाँध कर लटकाया गया था, वह शरारत ही थी, भोजन के लिए गोवध नहीं !' जिस गाँव के खेतों में यह किया गया, वह जाट-बहुल है और बग़ल के गाँवों में ठाकुरों की बहुलता है। जिन तीन गाँवों में यह सूचना या अफ़वाह सबसे पहले जंगल के आग की तरह फैली, उनमें दो जाटों के और एक ठाकुरों का गांव है।
बुलंदशहर वारदात के दौरान हुई हिंसा पहले की सांप्रदायिक हिंसक घटनाओं के पैटर्न के अनुरूप ही थी। सोशल मीडिया पर अफ़वाह, गुस्साई भीड़ का जमा होना, पुलिस पर पथराव और तोड़फोड़ पहले भी हो चुके हैं। सवाल लाज़िमी है कि इसके पीछ कौन था?
तहसीलदार की सूचना पर चौकी पर पहुँचे स्याना के कोतवाल सुबोध सिंह राठौर पुलिस की बेहद कम संख्या के चलते उकसाई गई हिंसक और हथियारबंद भीड़ के उन्माद के तब शिकार बने जब जान बचाने के लिए चलाई गई पुलिस की गोली सुमित नाम के एक जाट युवक को लगी। बाद में अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। इस पर हथियारबंद भीड़ ने पुलिस वालों को निशाने पर ले लिया। सुबोध सिंह को गोली मार दी, चौकी फूँक डाली भारी, पथराव किया और कई गाड़ियों और संपत्ति को फूँक डाला। उत्तेजक बयान
बाद में स्याना के बीजेपी विधायक देविंदर लोधी ने भीड़ को जायज़ ठहराने वाला बयान देकर राजनैतिक निहितार्थ साफ़ कर दिया। दंगाइयों ने ख़ुद ही हिंसा के विडियो भी बनाए और तुरंत प्रसारित भी कर दिए।
इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ने अख़लाक हत्याकांड की जाँच की थी, उनके काम की तारीफ़ की गई थी।
मीडिया में बैठे दंगाई पत्रकारों और संस्थानों ने अपना काम तुरंत शुरू कर दिया। सुदर्शन चैनल ने इसके लिए वारदात की जगह से क़रीब 40-45 किलोमीटर दूर चल रहे मुस्लिम धार्मिक आयोजन 'इज्तमा' को ज़िम्मेदार ठहरा दिया। लेकिन, विवाद पुलिस और स्थानीय हिंदुओं की गुस्साई भीड़ के बीच सीमित था। पुलिस ने मामले संभालने के लिए तुंरत इसका ट्विटर खंडन जारी किया ।गोकशी प्रतिबंध
बुलंदशहर वारदात की साज़िश इस तरह समझी जा सकता है कि गायें काटने की अफ़वाह सत्ताधारी दल के एक नेता ने फैलाई और उनकी सरकार के नियंत्रण में काम कर रहा प्रशासन उसकी पुष्टि नहीं कर सका।
मीडिया की भूमिका