रूस ने एक ऐतिहासिक क़दम उठाते हुए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता दे दी। यह पहला मौका है जब किसी देश ने तालिबान के शासन को वैधता प्रदान की है। यह कदम वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा रहा है, क्योंकि तालिबान अपने मानवाधिकार और महिला विरोधी नीतियों के लिए कुख्यात है। रूस का यह निर्णय मध्य एशिया की भू-राजनीति को सीधे प्रभावित करेगा।
रूस ने क्यों दी तालिबान को मान्यता?
- विश्लेषण
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- 4 Jul, 2025

रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता दी है। आखिर मास्को का यह कदम किस भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है? जानिए रूस के हित, सुरक्षा चिंताएं और क्षेत्रीय समीकरण।
रूस की तालिबान को मान्यता
3 जुलाई 2025 को, रूस ने तालिबान सरकार को मान्यता देने का ऐलान किया। अब मॉस्को में अफगान दूतावास पर तालिबान का सफेद झंडा फहराया रहा है और तालिबान द्वारा नियुक्त राजदूत गुल हसन हसन के परिचय-पत्र को स्वीकार कर लिया गया। उधर, काबुल में रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव ने तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की। रूसी विदेश मंत्रालय ने इसे व्यापार, सुरक्षा, और बुनियादी ढांचे में सहयोग का मार्ग बताया। मुत्तकी ने इसे “ऐतिहासिक कदम” करार दिया। लेकिन सवाल है कि रूस ने ऐसा किया क्यों?