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प्रज्ञा पर कार्रवाई क्यों नहीं करते 'दिल से माफ नहीं करने वाले' पीएम?

बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने फिर से विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हिन्दू कम से कम चाकू तेज करा कर रखें, कभी भी ज़रूरत पड़ सकती है। क्या ऐसी 'नफ़रत' वाली टिप्पणी के ख़िलाफ़ मोदी सरकार कोई कार्रवाई करेगी? क्या प्रधानमंत्री की ओर से भी कुछ ऐसा संकेत मिला है? इसका जवाब तो इससे भी मिल सकता है कि क्या प्रज्ञा सिंह के पहले के बयानों पर कभी कार्रवाई की गई है?

पहले प्रज्ञा सिंह ने किस-किस तरह की बयानबाजी की थी और पार्टी की ओर से क्या कहा गया था, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर ताज़ा मामला क्या है। प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कर्नाटक में रविवार को एक कार्यक्रम में हिन्दुओं से आह्वान किया कि वे अपने घरों में सब्जी काटने वाला चाकू तेज करा कर रखें, कभी भी उसकी जरूरत पड़ सकती है।

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भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने रविवार को कहा कि हिंदुओं को उन पर और उनकी गरिमा पर हमला करने वालों को जवाब देने का अधिकार है। पीटीआई की एक खबर के मुताबिक प्रज्ञा ने कहा- 'वो लोग लव जिहाद परंपरा के हैं। वो प्यार भी करते हैं तो उसमें जिहाद करते हैं। हम हिंदू भी भगवान से प्यार करते हैं। एक संन्यासी अपने भगवान से प्यार करता है। लेकिन वे हिंदुओं, भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेताओं को काटते हैं। तो हमें भी अपनी आत्मरक्षा का अधिकार है।'

शिवमोग्गा में हिंदू जागरण वेदिके के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक सम्मेलन में प्रज्ञा ने कहा - 'अपने घरों में हथियार रखो, और कुछ नहीं तो कम से कम सब्जी काटने वाले चाकू, धारदार…न जाने क्या स्थिति पैदा हो जाए… सबको आत्मरक्षा का अधिकार है। अगर कोई हमारे घर में घुसकर हम पर हमला करता है तो मुंहतोड़ जवाब देना हमारा अधिकार है।'

साध्वी के इस बयान पर विवाद हो रहा है। कुछ लोग इसे नफरती बयान बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे हिंसा को उकसाने वाला क़रार दे रहे हैं। हालाँकि प्रधानमंत्री की तरफ़ से इस पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन 2019 में प्रज्ञा ठाकुर के एक बयान पर प्रधानमंत्री ने कड़ी टिप्पणी की थी। 
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तब साध्वी प्रज्ञा ने कहा था, ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे। जो लोग उन्हें आतंकवादी कह रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए।' इस बयान पर जब पार्टी की काफी ज़्यादा फजीहत हुई तो पार्टी को बयान जारी करना पड़ा था। प्रज्ञा को मांफी मांगनी पड़ी थी। खुद प्रधानमंत्री ने कड़ी टिप्पणी की थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में प्रज्ञा के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा था, 'गांधी और गोडसे को लेकर बयान हर प्रकार घृणा के लायक है, आलोचना के लायक है, सभ्य समाज में ऐसी बातें नहीं कही जा सकती हैं। ऐसा कहने वालों को आगे से 100 बार सोचना पड़ेगा।' उन्होंने आगे कहा था, 

उन्होंने भले ही माफी मांग ली हो, लेकिन मैं दिल से कभी उन्हें माफ नहीं कर पाऊंगा।


नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री (2019 में प्रज्ञा के बयान पर)

तब अमित शाह ने भी कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने 16 मई 2019 को ट्वीट कर कहा था, पिछले 2 दिनों में अनंत कुमार हेगड़े, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और नलिन कटील के जो बयान आये हैं, वे उनके निजी बयान हैं, उन बयानों से भारतीय जनता पार्टी का कोई संबंध नहीं है।' 

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा था, ‘इन लोगों ने अपने बयान वापस ले लिए हैं और माफ़ी भी माँगी है। पार्टी की गरिमा और विचारधारा के विपरीत इन बयानों को पार्टी ने गंभीरता से लिया है और तीनों बयानों को अनुशासन समिति को भेजने का निर्णय किया है।’

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हालाँकि इस पूरे मामले के बाद भी प्रज्ञा ठाकुर ने नवंबर 2019 को संसद में फिर से गोडसे को देशभक्त बताया दिया था। तब एसपीजी बिल पर चर्चा के दौरान डीएमके सांसद ए. राजा ने नाथूराम गोडसे के बयान का हवाला देते हुए कहा था कि गोडसे ने महात्मा गाँधी की हत्या क्यों की, तभी प्रज्ञा ठाकुर ने उन्हें रोका और कहा था कि आप एक देशभक्त का उदाहरण नहीं दे सकते। 

हेमंत करकरे पर भी दिया था बयान

साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई हमले में शहीद हुए पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के बारे में कहा था कि करकरे को संन्यासियों का शाप लगा था। प्रज्ञा ने कहा था, 'मैंने कहा तेरा (हेमंत करकरे) सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगता है। जिस दिन मैं गई थी, उस दिन उसे सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में जिस दिन आतंकवादियों ने इसको मारा और उसका अंत हो गया।' करकरे मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले में आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हो गये थे। 

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हेमंत करकरे ने मालेगाँव बम धमाकों के मामले में सबूत इकट्ठे किए थे और इसके बाद साध्वी प्रज्ञा के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाया गया था। साध्वी प्रज्ञा मालेगाँव बम धमाकों के मामले में लंबे समय तक जेल में रह चुकी हैं। हालाँकि इस बयान पर बवाल होने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने अपना बयान वापस ले लिया था। 

'बाबरी मसजिद तोड़ने पर गर्व'

साध्वी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बाबरी मसजिद ध्वंस में अपनी भूमिका पर गर्व करते हुए बयान दिया था, ‘मैं ढाँचे को तोड़ने के लिए इसकी सबसे ज़्यादा ऊँचाई पर चढ़ी थी। मुझे इस बात पर गर्व है कि भगवान ने मुझे यह मौक़ा दिया और इस काम को करने के लिए ताक़त दी, तभी मैं यह काम कर पाई। हमने देश पर लगे कलंक को ख़त्म कर दिया। अब हम वहीं राम मंदिर बनाएँगे।’ 

बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और बाबूलाल गौर के निधन के बाद साध्वी प्रज्ञा ने ऐसा बयान दिया था, जिसकी ख़ूब चर्चा हुई थी। प्रज्ञा ने कहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की एक के बाद एक हो रही मौतों के पीछे विपक्ष का हाथ है और वह कोई ‘मारक शक्ति’ का उपयोग कर रहा है। 

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