इस बार कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। 'पलायन रोको, नौकरी दो' यात्रा इस बदलाव का एक हिस्सा है। यह यात्रा बेरोजगारी और पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर केंद्रित है, जो बिहार के युवाओं और ग्रामीण आबादी के लिए सबसे बड़ी समस्याएँ हैं। राज्य में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण हर साल लाखों लोग दिल्ली, मुंबई, और अन्य राज्यों में पलायन करते हैं। कांग्रेस इन मुद्दों को उठाकर सत्तारूढ़ एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) सरकार की कथित नाकामी को उजागर करना चाहती है।
बिहार की आबादी में युवाओं की संख्या बहुत अधिक है। अगर कांग्रेस बेरोजगारी और पलायन के मुद्दे पर युवाओं का भरोसा जीत लेती है, तो यह उसके लिए एक बड़ा वोट बैंक बन सकता है। यह यात्रा स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का मौका देगी। अगर इसे ठीक ढंग से प्रबंधित किया जाता है, तो कांग्रेस का कमजोर संगठनात्मक ढांचा मजबूत हो सकता है।