गंगा की दो धाराओं के बीच बसे राघोपुर दियारा गांव में, जहां 2017 की खुदाई से हड़प्पा काल की ईंटें मिली थीं, आज किसानों की फसलें लहलहा रही हैं। गांव के चौराहे पर ट्रैक्टर के पास खड़े रामविलास यादव ने पान थूकते हुए कहा, "दियारा का नाम पुराना है, तेजस्वी का भी। पीके की चेतावनी सुनी—'राहुल जैसी हार'—लेकिन यहां राहुल नहीं, लालू जी की विरासत है। रोजगार, शिक्षा—तेजस्वी पूरा करेंगे।" पास ही खड़े पासवान (12% वोट) युवक रोहित ने जोड़ा, "बेरोजगारी है, लेकिन तेजस्वी की 'नौकरी यात्रा' ने जोश भरा।"
दियारा की मिट्टी, जो बौद्ध इतिहास की गवाह है, आज राजनीतिक जागरण की साक्षी बन रही—तेजस्वी की मजबूती यहां साफ झलक रही, जहां लोकल मुद्दों पर उनका फोकस जनता को बांध रहा है।
फतेहपुर गांव: विकास की पुकार
बिदुपुर प्रखंड में है फतेहपुर गांव, जहां 1970 के दशक में बौद्ध मठ के अवशेष मिले थे। गंगा की धाराओं के बीच बसे यहां के घरों में बाढ़ की कहानियाँ गूंज रही हैं। गांव की पंचायत भवन के बाहर एक ग्रुप में बहस छिड़ी—एक मुस्लिम बुजुर्ग ने कहा, "लालू जी ने हमारा साथ दिया, तेजस्वी वही रास्ता अपनाएंगे। पीके का आईडिया नया है, लेकिन यहां जाति और विरासत राज करती है।" पास ही खड़ी महिला मीरा बोलीं, "अस्पताल में दवा नहीं, स्कूल में टीचर नहीं—लेकिन तेजस्वी जी की रैली में हजारों आए। जीतेंगे, क्योंकि बिहार को युवा नेता चाहिए।"