बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान धूल उड़ने शुरू हो गए हैं। उम्मीदवारों के नाम तय होने लगे हैं। राघोपुर में तेजस्वी पहले से तय हैं। वैशाली जिले का यह नदी द्वीप क्षेत्र तेजस्वी यादव के लिए फिर से 'यादव गढ़' साबित होने को बेताब है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यहां से मैदान में हैं तो जन सुराज के प्रशांत किशोर ने 'जनता की मांग पर' चुनाव लड़ने का ऐलान कर हलचल मचा दी है। सड़कों पर पैदल चलते हुए, घाटों पर बैठकर और चौक पर चाय की चुस्कियां लेते हुए जो नब्ज टटोली, तो साफ दिखा- पीके की रैली का शोर तो फैला, लेकिन जनता का दिल अभी भी तेजस्वी के साथ धड़क रहा है। यादव वोट बैंक (लगभग 32%) की एकजुटता, मुस्लिम-यादव समीकरण और स्थानीय मुद्दों पर तेजस्वी के वादों ने हवा को मज़बूत कर दिया है। 

हम पहुंचे महावीर चौक। गौरी शंकर मंदिर में लगातार घंटियां बज रही हैं। पास के बाजार में दुकानदारों की चहल-पहल थमती नहीं। खरीददारों की भीड़ बनी रहती है। ट्रैफिक भी जबरदस्त। दोपहर की धूप में चौक पर चाय की टपरी पर पहुंचा तो यादव बहुल इलाके के रामेश्वर पासवान ने चाय की कप थामते हुए कहा, "पीके साहब की रैली देखी, तालियां भी बजाईं, लेकिन वोट? वो तो तेजस्वी बाबू को जाएगा। लालू जी-राबड़ी मैय्या का बेटा है, गढ़ तोड़ना आसान नहीं। बाढ़ की मार तो सबको है, लेकिन तेजस्वी जी ने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया—वो पूरा करेंगे।" पास ही खड़ी एक वैश्य व्यापारी (11% वोट शेयर वाली जाति से) बोलीं, "एनडीए की योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन स्थानीय विकास में तेजस्वी आगे हैं। पुल टूटा, सड़कें गड्ढों वाली— इन पर तेजस्वी फोकस करेंगे तो मार्जिन 40 हजार पार।" अगर 40 हजार या उससे ज्यादा का मार्जिन रहता है तो तेजस्वी अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेंगे। 2020 के बाद से राघोपुर विधानसभा सीट से लालू-राबड़ी-तेजस्वी ही जीतते रहे हैं।

राघोपुर विधानसभा के चुनावी नतीजे

नमामी गंगे घाट : लालू परिवार पर भरोसा

महावीर चौक से आगे ई-रिक्शा पर बैठकर हम पहुँचे नमामी गंगे घाट। क़रीब ढाई किमी का सफर। सड़कें टूटी-फूटी। गंगा किनारे यह प्रमुख घाट हैं जहां छठ पूजा और स्नान होता है। बाढ़ प्रभावित इलाक़ों की नब्ज टटोलने के लिए बेस्ट है। शाम का समय है। मुलाक़ात होती है बाढ़ की मार झेल चुकी मीना देवी से जो बिदुपुर ब्लॉक की रहने वाली हैं। एक ओर छठ घाट तैयार करने की जद्दजोहद चल रही है तो दूसरी तरफ़ घाट की सीढ़ियों पर बैठी मीना देवी कहती हैं, "हर साल नाव पर जीना पड़ता है, लेकिन तेजस्वी जी ने बाढ़ नियंत्रण का वादा किया। तेजस्वी के नाम पर ही वोट पड़ेगा- मुस्लिम बहनों का (3.5%) वोट भी उनके साथ।" पास ही युवा किसान ललन सिंह हैं। राजपूत समुदाय से हैं। क्षेत्र में 20% की आबादी है। मोबाइल पर तेजस्वी की रैली का वीडियो दिखाते हुए कहते हैं, "2020 में जीते, इस बार भी। पीके अगर लड़ेंगे तो वोट बँटेगा, लेकिन यादव एकजुट हैं।" आप किसे वोट देंगे, पूछने पर ललन कहते हैं- “यहां तेजस्वी का जोर है।“

राघोपुर में 15,407 वोटरों के नाम हटाए गये हैं। इसका क्या तेजस्वी की जीत की संभावना पर असर पड़ेगा?- इस सवाल के जवाब में श्रवण मल्लाह कहते हैं, “जोर तो तेजस्वी जी को हराने का लगा ही रहे हैं विरोधी, लेकिन पार नहीं पाएंगे।” घाट पर बह रही गंगा की लहरें जैसे तेजस्वी की लहर बयां कर रही थीं—जनता मुद्दों से नाराज तो है, लेकिन लालू-राबड़ी परिवार और उनके लाल पर भी पूरा भरोसा है।

राघोपुर दियारा: प्राचीन मिट्टी में नई उम्मीदें

गंगा की दो धाराओं के बीच बसे राघोपुर दियारा गांव में, जहां 2017 की खुदाई से हड़प्पा काल की ईंटें मिली थीं, आज किसानों की फसलें लहलहा रही हैं। गांव के चौराहे पर ट्रैक्टर के पास खड़े रामविलास यादव ने पान थूकते हुए कहा, "दियारा का नाम पुराना है, तेजस्वी का भी। पीके की चेतावनी सुनी—'राहुल जैसी हार'—लेकिन यहां राहुल नहीं, लालू जी की विरासत है। रोजगार, शिक्षा—तेजस्वी पूरा करेंगे।" पास ही खड़े पासवान (12% वोट) युवक रोहित ने जोड़ा, "बेरोजगारी है, लेकिन तेजस्वी की 'नौकरी यात्रा' ने जोश भरा।"

दियारा की मिट्टी, जो बौद्ध इतिहास की गवाह है, आज राजनीतिक जागरण की साक्षी बन रही—तेजस्वी की मजबूती यहां साफ झलक रही, जहां लोकल मुद्दों पर उनका फोकस जनता को बांध रहा है। 

फतेहपुर गांव: विकास की पुकार

बिदुपुर प्रखंड में है फतेहपुर गांव, जहां 1970 के दशक में बौद्ध मठ के अवशेष मिले थे। गंगा की धाराओं के बीच बसे यहां के घरों में बाढ़ की कहानियाँ गूंज रही हैं। गांव की पंचायत भवन के बाहर एक ग्रुप में बहस छिड़ी—एक मुस्लिम बुजुर्ग ने कहा, "लालू जी ने हमारा साथ दिया, तेजस्वी वही रास्ता अपनाएंगे। पीके का आईडिया नया है, लेकिन यहां जाति और विरासत राज करती है।" पास ही खड़ी महिला मीरा बोलीं, "अस्पताल में दवा नहीं, स्कूल में टीचर नहीं—लेकिन तेजस्वी जी की रैली में हजारों आए। जीतेंगे, क्योंकि बिहार को युवा नेता चाहिए।"

‘PK का चैलेंज मीडिया का शोर’

बिदुपुर के श्याम मार्केट में जहांगीरपुर के पास किसान अनाज बेचने आते हैं। बाजार की दुकानों पर चर्चा तेज थी। एक किराना दुकानदार ने कहा, "पीके ने कहा 'तेजस्वी चिंतित हों', लेकिन हम तो खुश हैं- तेजस्वी का मार्जिन बढ़ेगा। सड़कें, बिजली—एनडीए ने कुछ किया, लेकिन स्थानीय लड़का तेजस्वी ही करेगा।" युवाओं का ग्रुप बोला, "ओवरकॉन्फिडेंस नहीं, कॉन्फिडेंस है। पीके अगर लड़ेंगे तो त्रिकोणीय मुकाबला, लेकिन यादव वोट न डिगेगा।" बाजार की हलचल में साफ था: विकास की कमी है, लेकिन तेजस्वी की लोकप्रियता इसे कवर कर रही।
 
राघोपुर घूमने के बाद साफ है कि तेजस्वी यादव की जीत की संभावना न सिर्फ मजबूत, बल्कि अभूतपूर्व है—यादव-मुस्लिम गठजोड़, युवाओं का जोश और स्थानीय मुद्दों पर फोकस से तेजस्वी के सामने कोई चुनौती नजर नहीं आती। पीके का चैलेंज मीडिया का शोर है, लेकिन घाट-चौक पर जनता कह रही- तेजस्वी। यह गढ़ अब और मजबूत हो रहा है। बुद्ध की भूमि पर राजनीतिक जागरण तेजस्वी के नाम की कहानी लिख रहा है।