बिहार में इस समय भारतीय जनता पार्टी ईबीसी यानी अत्यंत पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए इतनी जोरदार आवाज बुलंद कर रही है कि इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि उसे कभी आरक्षण विरोधी और सवर्ण जातियों की पार्टी माना जाता था। आरक्षण की वकालत का मौका उसे पटना हाईकोर्ट के उस फ़ैसले के बाद मिला है जिसके कारण नगर निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग के लिए घोषित आरक्षण लटक गया है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए यह फ़ैसला दिया है कि पिछड़े वर्ग के लिए चुनावों में आरक्षण ट्रिपल टेस्ट के मानक से तय किए जाएँ।

क्या बीजेपी आरक्षण की पैरवी करती है? अगड़ों की पार्टी मानी जाती रही बीजेपी बिहार में पिछड़ों के नेता माने जाते रहे नीतीश कुमार के जदयू को आरक्षण विरोधी क्यों कह रही है?
इत्तेफाक की बात है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव का पहला चरण 10 अक्टूबर को होने वाला था मगर हाइकोर्ट के फ़ैसले के कारण बिहार सरकार आरक्षण की पुरानी व्यवस्था को लागू करवाने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दे रही है।