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केसीआर-नीतीश मुलाक़ात विपक्ष को धार देने का नया सफर

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर यानी चंद्रशेखर राव ने दो दिन पहले ‘भाजपा मुक्त भारत’ का नारा देने के बाद बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाक़ात की। वह राजद प्रमुख लालू प्रसाद से भी मिल रहे हैं।

नौ अगस्त से पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर यानी चंद्रशेखर राव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से किसी राजनैतिक बातचीत की उम्मीद कम ही थी लेकिन अगस्त के आख़िरी दिन वे हैदराबाद से दोपहर में पटना पहुँचे। केसीआर के साथ उनकी पार्टी टीआरसी- तेलंगाना राष्ट्र समिति के कुछ वरिष्ठ नेता भी हैं।

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इसी दौरान भाजपा के नेता भी तेलंगाना के दौरे कर रहे हैं और असदुद्दीन ओवैसी की राजनीतिक उपस्थिति वाले दक्षिण के इस महत्वपूर्ण राज्य पर अपनी आँखें गड़ाये हुए हैं। ऐसे में केसीआर को बीजेपी के ख़िलाफ़ अपनी मुहिम में पटना से नीतीश और लालू का समर्थन मिलने से उन्हें अपने राज्य में भी लाभ मिल सकता है।

केसीआर की इस मुलाकात को राष्ट्रीय स्तर पर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के सफर की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। केसीआर वैसे तो अपने कांग्रेस विरोध के लिए भी जाने जाते हैं लेकिन इस समय यह कहा जा रहा है कि नीतीश और लालू के साथ वे दरअसल ’भाजपा मुक्त भारत’ के तहत विपक्ष की एकजुटता को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार और लालू केसीआर से कांग्रेस के रोल पर भी बात करेंगे और हो सकता है कि तेलंगाना में केसीआर और कांग्रेस की कड़वाहट को कम करने पर भी बात हो।

इससे पहले साल की शुरुआत में ही तेजस्वी यादव केसीआर से मिलने हैदराबाद गये थे लेकिन तब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे। अब बदली परिस्थिति में केसीआर ने भी अपनी रणनीति तेज कर दी है क्योंकि इस समय हिन्दी पट्टी में नीतीश से बेहतर छवि और राजनैतिक चतुराई वाला कोई और नेता नहीं मिल सकता।
एक समय ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री मोदी के मुक़ाबले विपक्ष का मज़बूत विकल्प माना जा रहा था लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में उनके नेताओं के लगातार फँसते चले जाने और शरद पवार का इसके लिए राजी न होने के बाद उन पर चर्चा थम गयी लगती है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में भी ऐसी चर्चा चलती है लेकिन उनके सॉफ्ट हिंदुत्व के कारण उनकी इस भूमिका को बहुत बल नहीं मिल पा रहा है। 

ऐसे में, इस मुलाक़ात के बाद जनता दल यूनाइटेड के नेता यह प्रचारित करने की कोशिश कर सकते हैं कि नीतीश कुमार 2024 के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की धुरी बन रहे हैं। नीतीश कुमार अपनी यह भूमिका बिहार के हद तक तो 2015 में बखूबी निभा चुके हैं लेकिन अब जबकि वे लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद-तेजस्वी यादव के साथ मिलकर लड़ेंगे तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ मिलकर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को कितनी मजबूत चुनौती दे पाते हैं।

kcr nitish kumar tejashwi yadav meet for opposition unity - Satya Hindi

नीतीश कुमार का यह रोल बिहार से निकलकर उत्तर प्रदेश के सीमाई इलाक़ों और झारखंड में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

जदयू के नेता कह रहे हैं कि केसीआर का पटना में नीतीश कुमार से मिलने का मतलब यह है कि नीतीश को राष्ट्रीय तौर पर एक विकल्प रूप में देखा जा रहा है। रोचक बात यह है कि जदयू के नेता प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी उस प्रशंसा को भी दोहरा रहे हैं जो उन्होंने बिहार विधानसभा के शताब्दी कार्यक्रम के समापन समारोह में की थी।

मोदी ने मोटे तौर पर यह कहा था कि नीतीश कुमार पर परिवारवाद का कोई आरोप नहीं है और वे सच्चे समाजवादी हैं। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ माहौल बनाने में भी नीतीश कुमार की भूमिका कम नहीं है। वे मोदी की तरह सटीक बयान देने के लिए मशहूर हैं और एक बार तो उन्होंने भाजपा को ‘बड़का झुट्ठा पार्टी’ का खिताब भी दिया था।

हालाँकि खुद नीतीश कुमार कह चुके हैं कि वे प्रधानमंत्री की रेस में नहीं हैं। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी भी कहते हैं कि नीतीश कुमार का पूरा फोकस विपक्ष की एकता पर है। उनका कहना है कि नीतीश कुमार की कोशिश विपक्ष को एक मंच पर लाना और बीजेपी को 2024 के चुनाव में तगड़ा झटका देना है।

यह बयान अपनी जगह, लेकिन जदयू के नेता नीतीश कुमार के बारे में घुमा फिराकर यह बात भी कहते हैं कि वे प्रधानमंत्री बनने की

योग्यता रखते हैं। पहले बीजेपी के सीनियर नेता सुशील कुमार भी नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल कहते थे। अब तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद भी उनके बारे में यही राय रखते हैं।

राजद सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद सीबीआई-इनकम टैक्स और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कथित राजनैतिक दुरुपयोग पर भी विचार विमर्श कर सकते हैं। तेजस्वी यादव इस समय आईआरसीटीसी और जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के आरोपों का सामना कर रहे हैं और केन्द्रीय एजेंसियों के बारे में खुलकर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं। समझा जाता है कि इस मामले में केसीआर लालू परिवार के प्रति अपना समर्थन जताएंगे।

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समी अहमद
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