बिहार विधानसभा का चुनाव 29 नवंबर तक करा लेने की आधिकारिक घोषणा के बाद सभी प्रमुख दलों और गठबंधनों की सक्रियता बढ़ गयी है।
एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान फिलहाल मौन हैं, लेकिन संकेतों में नये निर्णय का एहसास करा रहे हैं। देखना होगा कि संसदीय दल की बैठक में एलजेपी एनडीए में रहने या उससे बाहर आने को लेकर कोई फैसला करती है या नहीं।
इस पूरे प्रकरण पर बीजेपी का मौन और जीतनराम मांझी के जेडीयू के साथ जाने और जेडीयू के एलजेपी से दूरी बनाने की परिस्थिति में दिल्ली में होने वाली एलजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है।
मांझी की एनडीए में वापसी के पीछे नीतीश का ही हाथ है।
कांग्रेस आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में दूसरी बड़ी पार्टी है। पिछले विधानसभा चुनाव में जब महागठबंधन ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था तब आरजेडी को 81 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं।