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फ़ाइल फोटो

ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाकर नीतीश ने साधे कई निशाने 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ललन सिंह को उनके पद से हटा दिया है। नीतीश अब खुद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। 
ललन सिंह के इस्तीफे की खबर कई दिनों से चल रही थी जिस पर शुक्रवार को मुहर लग गई। इससे कुछ दिन पहले ललन सिंह ने इस्तीफे की खबरों को नकार भी दिया था। जदयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी ने भी इस खबर को ग़लत बताया था।
जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसको लेकर फैसले किए जाएंगे इसकी चर्चा कई दिनों से थी। 
इस पूरी घटना में सवाल उठ रहा है कि आखिर नीतीश कुमार ने जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से ललन सिंह का इस्तीफा क्यों लिया और एक बार खुद क्यों पार्टी की कमान संभाली है। 
नीतीश कुमार और बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार ने अपने इस कदम से कई निशाने साधे हैं। 
उन्होंने इससे जाति जनगणना का क्रेडिट लेने में जुटे लालू यादव का पत्ता काट दिया है। साथ ही लालू यादव को संदेश दिया है कि वे अब भी कड़े फैसले ले सकते हैं। लालू के तेजस्वी को सीएम बनाने के मंसूबे को भी फिलहाल खत्म कर दिया है। 
दूसरी तरफ उन्होंने इंडिया गुट में घटती अपनी पूछ को भी इस एक फैसले से बढ़ा लिया है। पिछले कुछ दिनों से लगातार खबरें आ रही थी कि इंडिया गठबंधन की 19 दिसंबर को हुई बैठक के बाद से नीतीश कुमार कुमार नाराज़ चल रहे हैं। 
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नीतीश अब भी  ले सकते हैं बड़े फैसले

नीतीश कुमार ने ललन सिंह सिंह का इस्तीफा मंजूर कर संदेश दिया है कि वह पार्टी हित में बड़े फैसले ले सकते हैं। 
सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ अरसे से ललन सिंह की लालू यादव से करीबी बढ़ने लगी थी। 
बीते दिनों इन बातों की भनक नीतीश कुमार को लग चुकी थी। इस खबर के बाद नीतीश कुमार अलर्ट हो चुके थे। 
इस बीच उड़ते - उड़ते खबर आई कि ललन सिंह जेडीयू तोड़कर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की फिराक में हैं।
यह खबर मिलते ही नीतीश कुमार ने ललन सिंह के पर कतरने में देर नहीं लगाई। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक नीतीश कुमार ने पर तो ललन सिंह के कतरे हैं, लेकिन  संदेश लालू यादव को दिया गया है।
नीतीश कुमार के ऐक्शन से लालू यादव को अंदाजा ही गया होगा कि मुख्यमंत्री कभी भी बड़ा फैसला ले सकते हैं। इतना ही नहीं, बिहार में हुई जाति जनगणना में भी लालू और तेजस्वी यादव हिस्सेदार बनना चाह रहे थे। 
लेकिन नीतीश कुमार को यह बिल्कुल भी गवारा नहीं था। ऐसे में उन्होंने लालू को एक कड़ संदेश देना ही उचित समझा।
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नीतीश की कोर टीम ललन सिंह से थी नाराज़

राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक नीतीश कुमार के बेहद करीब रहने वाली उनकी कोर टीम ललन सिंह से नाराज़ चल रही थी। 
यह कोर टीम पिछले करीब छह माह से इस प्रयास में थी कि ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया जाए। यह टीम चाह रही थी कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में टिकटों के बंटवारे से जुड़े सारे अधिकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास आ जाए।
नीतीश कुमार के करीबियों वाली इस कोर टीम को डर था कि लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में ललन सिंह अपनी मनमानी कर सकते हैं और उनकी बातें नहीं सुनी जाएंगी। 
इस कोर टीम ने ही नीतीश कुमार को यह समझाया कि ललन सिंह के रवैए के कारण पार्टी लगातार कमजोर हो रही है। उनके कारण जदयू के कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। नीतीश कुमार को बताया गया कि ललन सिंह न तो पार्टी का विस्तार कर रहे हैं और न ही कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करते हैं। जिसका नुकसान पार्टी को हो रहा है।
सूत्र बताते हैं कि यह कोर टीम ही लगातार नीतीश कुमार तक यह खबर भी पहुंचा रही थी कि ललन सिंह लालू यादव के काफी करीब हो गए हैं। नीतीश के कान में यह बात भी दी गई कि ललन सिंह जदयू को तोड़ कर राजद में विलय करा सकते हैं।
इस कोर टीम ने काफी कोशिशों के बाद नीतीश कुमार को इस बात के लिए तैयार किया कि वह पार्टी की कमान अपने हाथ में लें। 
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क़मर वहीद नक़वी
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