काफी जोड़ तोड़ और मान मनौव्वल के बाद रविवार की शाम बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग की घोषणा तो हो गई लेकिन जो बात सबसे चौंकाने वाली है वह यह है कि नीतीश कुमार अब इस गठबंधन में बड़े भाई का रुतबा खो चुके हैं।
बिहार एनडीए में अब नीतीश कुमार का बड़ा भाई वाला दबदबा नहीं दिख रहा। सीट बँटवारे से लेकर रणनीति तक, बीजेपी ने दिखाया सियासी दमख़म। क्या नीतीश की भूमिका अब सीमित हो गई है?

नीतीश कुमार इस समय अपने सबसे बुरे दौर में माने जाते हैं, इसके बावजूद उनकी पार्टी की यह ज़िद थी कि प्रतीकात्मक रूप से ही सही सीट शेयरिंग में उसे सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा दिया जाए। इसीलिए आज की घोषणा से पहले जो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने आ रहा था उसमें जदयू को 102 और भारतीय जनता पार्टी को 101 सीट दिए जाने की बात कही जा रही थी। यानी जो भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो उसमें सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जदयू को रखा जाए और उसकी सीट बीजेपी से एक ही सही लेकिन ज्यादा हो।