संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर को लेकर इन दिनों कुछ ख़ास तरह की ख़बरों की भरमार दिखाई दे रही है। अख़बारों और टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर अक्सर इस तरह की सुर्खियां दिखाई देती हैं। “बाबा साहेब की मूर्ति तोड़ी गयी” “बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान“। आज कल बिहार में इसी तरह की एक ख़बर राजनीतिक विवाद का केंद्र बना हुआ है। आरोप लगाया जा रहा है कि आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के जन्म दिन समारोह में बाबा साहेब की तस्वीर जमीन पर रखी गयी थी, जहां लालू कुर्सी पर बैठे थे। बीजेपी ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे सीधे तौर पर डॉ. आंबेडकर का अपमान बताया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सिवान की सभा में दलितों के अपमान के मुद्दे पर लालू का नाम लिए बिना ग़ैर-बीजेपी विपक्षी पार्टियों की आलोचना की।

बिहार चुनाव में आंबेडकर को 'देवता' के रूप में पेश किए जाने की कोशिश को लेकर राजनीतिक हलकों में बहस तेज़ है। क्या यह दलित वोट बैंक साधने की नई रणनीति है या विचारधारा से छल? जानिए पूरी रिपोर्ट।
बिहार अनुसूचित जाति आयोग ने इस मुद्दे पर लालू को नोटिस जारी कर दिया है। सवाल ये है कि क्या लालू ने सचमुच बाबा साहेब का अपमान करने के लिए बाबा साहेब की तस्वीर को जमीन पर रखा या ये अनजाने में हुआ? क्या इसे बाबा साहेब का अपमान माना जाना चाहिए? या फिर ये सब राजनीतिक स्टंट है जिसका मकसद चुनाव में लाभ उठाना है?
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक