छठ पूजा पर बिहार जाने वालों की लालसा इस बार एक कठोर संघर्ष में बदल गई है। दिल्ली, मुंबई, गुजरात, हैदराबाद जैसे शहरों से बिहार लौटने वाले लाखों यात्री ट्रेनों में कन्फर्म टिकट के लिए तरस रहे हैं। ट्रेनें क्षमता से 200% भरी हुई हैं, जहां लोग दरवाजों पर लटककर, छतों पर चढ़कर या यहां तक कि टॉयलेट में बैठकर 36 घंटे का सफर तय करने को मजबूर हैं। मोदी सरकार ने छठ पूजा पर 12000 ट्रेनें चलाने का दावा किया था लेकिन अब उस पर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्र सरकार के 12,000 स्पेशल ट्रेनों के ऐलान के बावजूद जमीन पर हालात बदतर ही नजर आ रहे हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को एक्स पर इसे 'एनडीए की धोखेबाज नीतियों का जीता-जागता सबूत' करार दिया है। आरजेडी नेता और महागठबंधन के सीएम चेहरे तेजस्वी यादव ने सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है।

सरकार के दावे और ज़मीनी हकीक़त 

मोदी सरकार ने अगस्त 2025 में ही बिहार के लिए दिवाली-छठ सीजन में बड़ी राहत का ऐलान किया था। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा कि अगले दो महीनों में देशभर से बिहार की ओर 12,000 से अधिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी, जो पिछले साल की 7,500 ट्रेनों से दोगुनी हैं। इनमें वंदे भारत, अमृत भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें शामिल हैं, साथ ही टिकट पर 20% तक की छूट का वादा भी किया गया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इसे 'पीएम मोदी की सौगात' बताते हुए कहा था कि इससे लाखों यात्रियों को लाभ होगा। सितंबर तक इस आंकड़े को बढ़ाकर 12,739 ट्रेनें कर दिया गया। जिसमें पटना, गया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों को जोड़ने वाले रूट्स पर फोकस करने की बात थी। 
रेलवे ने दावा किया कि 20 अक्टूबर तक 4,211 ट्रिप पूरी हो चुकी हैं, जिनसे एक करोड़ से अधिक यात्री सफर कर चुके हैं। लेकिन आलोचना ये है कि ये आंकड़े 'फेरों' (ट्रिप्स) के हैं, न कि नई ट्रेनों के। कई रूट्स पर स्पेशल ट्रेनों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। जैसे दिल्ली से पटना के बीच सिर्फ 19 ट्रेनें, जहां वेटिंग 26 अक्टूबर तक चल रही है। जमशेदपुर से बिहार के लिए तो मात्र एक स्पेशल ट्रेन ही चलाई गई, जिससे साउथ बिहार एक्सप्रेस और वंदे भारत जैसी ट्रेनें भी फुल हैं। रेलवे ने जून 2025 से वेटिंग टिकटों को 25% तक सीमित कर दिया, जो भीड़ कम करने का दावा करता है, लेकिन यात्रियों की परेशानी बढ़ा रहा है।
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प्रवासियों का दर्द: अमानवीय सफर और टिकट की मारामारी 

इस रिपोर्ट के लिखे जाने के समय दिल्ली, आनंद विहार, सहारनपुर, चंडीगढ़, रांची, जमशेदपुर जैसे स्टेशनों पर हाहाकार मचा हुआ है। हजारों प्रवासी मजदूर जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं टॉयलेट में बैठकर या दरवाजों पर लटककर सफर कर रहे हैं। दिल्ली से पटना, मुंबई से दरभंगा, गुजरात से गया सभी प्रमुख रूट्स पर कन्फर्म टिकट मिलना 'असंभव' हो गया है। IRCTC ऐप पर भुगतान एरर की शिकायतें आम हैं, और तत्काल कोटा भी फुल हो जाता है। एक यात्री ने बताया, "36 घंटे टॉयलेट में गुजारे, लेकिन छठ मनाने का जुनून ही हमें खींच लाया।" रेलवे ने होल्डिंग एरिया, 24x7 मेडिकल बूथ और 900 अतिरिक्त ट्रेनों का दावा किया है, लेकिन स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म टिकट बंद करने से भीड़ और बेकाबू हो गई है।

राहुल गांधी ने सरकार को घेरा 

"फेल डबल इंजन सरकार के दावे खोखले हैं। कहां हैं 12,000 स्पेशल ट्रेनें? क्यों बिहार के लोग हर साल अपमानजनक हालात में घर लौटने को मजबूर हैं? अगर राज्य में रोजगार मिलता, तो उन्हें हजारों किलोमीटर भटकना नहीं पड़ता।" उन्होंने इसे 'यात्रा का अधिकार' बताया, न कि 'एहसान'।

तेजस्वी यादव का सरकार पर ज़ोरदार हमला 

राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा- "भाजपा न तो रोज़गार पैदा कर सकती है और न ही बिहार के साथ न्याय कर सकती है। वे गुजरात में कारखाने लगाते हैं, वहाँ बुलेट ट्रेन चलाते हैं और सिर्फ़ वोट के लिए बिहार आते हैं। एनडीए 20 साल से बिहार में सत्ता में है। फिर भी यहाँ एक भी मिल नहीं खुली। लोग अभी भी पलायन करते हैं, ट्रेनों में भरकर गुजरात काम करने जाते हैं। अमित शाह कहते हैं कि बिहार में कारखानों के लिए ज़मीन नहीं है। भाजपा सिर्फ़ चुनावों के दौरान बात करती है और असली मुद्दों को नज़रअंदाज़ करती है। हम विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।" 

मोदी के वादे सफेद झूठः लालू यादव

बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने एक्स पर लिखा है- झूठ के बेताज बादशाह और जुमलों के सरदार ने शेखी बघारते हुए कहा था कि देश की कुल 13198 ट्रेनों में से 12000 रेलगाड़ियां छठ पर्व के अवसर पर बिहार के लिए चलाई जायेंगी। यह भी सफेद झूठ निकला। बीस सालों की एनडीए सरकार में पलायन का दंश झेल रहे बिहारियों के लिए लोक आस्था के महापर्व छठ पर भी ये लोग रेलगाड़ियां ढंग से नहीं चलवा सकते। मेरे बिहारवासियों को अमानवीय तरीके से ट्रेनों में सफर करना पड़ रहा है। कितना शर्मनाक है? डबल इंजन सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रतिवर्ष बिहार के चार करोड़ से अधिक लोग काम के लिए अन्य राज्यों में पलायन करते है। यूपीए सरकार के बाद से एनडीए सरकार ने बिहार में कोई बड़ा उद्योग नहीं लगाया। ये लोग बिहार विरोधी है।

मोदी की छठ बधाई लेकिन ट्रेनों का जिक्र भूले

शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्तीपुर और बेगूसराय में रैलियों को संबोधित किया। छठ पर ढेरों बधाइयां दीं, सस्ते डेटा और रील से लेकर बिहार के विकास की बात की, लेकिन 12,000 ट्रेनों का कोई जिक्र नहीं। अगर वाकई स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं तो पीएम मोदी को इनका जिक्र करना चाहिए था। विपक्ष इसे 'चुनावी स्टंट' बता रहा है, खासकर जब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। राहुल गांधी का सवाल सीधा है: "क्यों हालात हर साल बदतर होते जा रहे हैं?"

हर त्यौहार पर रेलवे की नाकामी

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर विपक्ष का पुराना तंज फिर गूंज रहा है। 'रेल मंत्री नहीं, रील मंत्री'। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में कहा था कि वैष्णव रेल दुर्घटना स्थल पर कैमरे घुमाते हैं, लेकिन रेलवे में सुधार नहीं कर पा रहे हैं। 3 लाख पद खाली क्यों हैं? सीआरएस की सिफारिशें क्यों नजरअंदाज होती हैं? रेलें इतनी असुरक्षित क्यों होती जा रही हैं। रेलवे ने 6,181 रिटर्न ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है, लेकिन अभी तक सोशल मीडिया पर वायरल 40 से अधिक वीडियो फर्जी बताकर खारिज कर दिए गए।
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12,000 ट्रेनों का दावा आकर्षक लगता है, लेकिन जमीन पर प्रवासियों का संघर्ष बरकरार है। बिहार के लोग न केवल टिकट के लिए, बल्कि सम्मानजनक सफर के लिए तरस रहे हैं। रेलवे अधिक कोच, बेहतर भीड़ प्रबंधन और पारदर्शी बुकिंग जैसे सुधार तक नहीं कर पा रहा है। 'स्पेशल ट्रेनें' सिर्फ आंकड़ों की किताब में हैं, छठ का उत्साह दर्द में इसी तरह बदलता रहेगा।