बिहार के चुनावी घमासान में बेहद कम अंतर से सरकार बनाने से चूके आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव चुनाव नतीजों के बाद गुरूवार को पहली बार सामने आए। तेजस्वी यादव चुनाव आयोग पर हमलावर हुए और कहा कि जनता ने अपना फ़ैसला सुनाया है और चुनाव आयोग ने अपना नतीजा सुनाया है। उन्होंने कहा कि जनता का फ़ैसला महागठबंधन के पक्ष में है जबकि चुनाव आयोग का नतीजा एनडीए के पक्ष में है। इससे पहले आरजेडी विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुना गया।
उन्होंने चुनाव आयोग पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बीजेपी के प्रकोष्ठ ने तमाम कोशिशें की लेकिन फिर भी वह आरजेडी को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने से नहीं रोक सका। तेजस्वी बोले, ‘बिहार में हमने जनता के मुद्दों पर चुनाव लड़ा। हमारा चुनाव चिकित्सा, शिक्षा, नौकरी जैसे जनहित के मुद्दों पर केंद्रित रहा और जनता ने हम लोगों का साथ दिया और इन पर चर्चा हुई।’ 
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आरजेडी नेता ने कहा कि चुनाव में एक ओर देश के प्रधानमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री, पूंजीपति थे लेकिन वे 31 साल के नौजवान को रोकने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने चुनाव के दौरान नौकरी देने से इनकार किया था और आज वे बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन गए हैं। 

तेजस्वी ने कहा, ‘बिहार का जनादेश बदलाव का जनादेश है। अगर थोड़ी सी भी नैतिकता नीतीश जी में बची है तो उन्हें जनता के इस फ़ैसले का सम्मान करते हुए कुर्सी से हट जाना चाहिए। बिहार का जनादेश हमारे साथ है और हम राज्य में धन्यवाद यात्रा निकालेंगे।’

तेजस्वी ने कहा कि चुनाव के दौरान उनके परिवार के लिए अपशब्द कहे गए लेकिन उन्होंने इसे आशीर्वाद ही माना। 

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, जबकि महागठबंधन को 110। मतगणना वाले दिन आरजेडी की ओर से कई बार आरोप लगाया था कि पोस्टल बैलेट को रद्द किया जा रहा है और ईवीएम से गिनती में हेराफेरी की जा रही है। पार्टी ने कहा था कि साज़िशन 4-5 घंटों तक एनडीए की सीटों को 122 और  महागठबंधन को 96-100 के बीच रखा जाता रहा। 
देख़िए, बिहार के चुनाव नतीजों पर चर्चा- 
तेजस्वी ने कहा, ‘हम चुनाव हारे नहीं हैं, जीते हैं और पहली बार देश में किसी राज्य में विपक्ष ने एजेंडा सेट किया है। सरकार में जो लोग छल-कपट से बैठ रहे हैं, उनसे कहना चाहते हैं कि ये चार दिन की चांदनी है।’ 

आरजेडी नेता ने नीतीश को चेताया कि अगर जनवरी तक 19 लाख रोज़गार, स्वयं सहायता समूहों को मानदेय, समान काम वेतन, चिकित्सा, शिक्षा में सुधार नहीं हुआ तो हम लोग आंदोलन करेंगे। 
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बिहार में महागठबंधन की मामूली हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा जा रहा है। उसे इस बात के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है कि उसके ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन पिछड़ गया और एनडीए को सत्ता में आने का मौक़ा मिल गया। कांग्रेस राजनीतिक विश्लेषकों के निशाने पर भी है। 
इसके साथ ही पार्टी नेताओं के भीतर निराशा भी दिखाई देने लगी है। कांग्रेस में फ़ैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य तारिक़ अनवर ने इस बात को स्वीकार किया है कि पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन बहुमत के आंकड़े से दूर रह गया। 

बिहार के चुनाव नतीजों वाले दिन एक-एक सीट को लेकर दिन भर जोरदार लड़ाई चली और देर रात को नतीजे घोषित हो सके। नतीजों में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, जबकि तेजस्वी की क़यादत वाला महागठबंधन 110 सीटों पर अटक गया। अगर उसे 12 सीटें और मिल जातीं तो महागठबंधन सरकार बना लेता। 

वाम दलों से भी पिछड़ी

कांग्रेस उससे बहुत कम जनाधार रखने वाले वाम दलों से भी स्ट्राइक रेट में बहुत ज़्यादा पिछड़ गई है। उसने महागठबंधन के साथ मिलकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और वह सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल कर पाई है। उसकी तुलना में वाम दलों ने शानदार प्रदर्शन किया, जो सिर्फ 29 सीटों पर लड़कर 16 सीटें महागठबंधन की झोली में डालने में सफल रहे। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 27 फ़ीसदी और वाम दलों का 55 फ़ीसदी रहा।