Sharjeel Imam Bihar Elections 2025: जेल में बंद एक्टिविस्ट शरजील इमाम ने बिहार विधानसभा चुनाव में बहादुरगंज से लड़ने के लिए अंतरिम ज़मानत मांगी है। वो निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने 14 दिनों के लिए ज़मानत माँगी है।
दिल्ली दंगों की कथित साजिश मामले में पिछले 5 साल से जेल में बंद एक्टिविस्ट शरजील इमाम ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है। उन्होंने दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में 14 दिनों की अंतरिम जमानत का आवेदन दायर किया है, ताकि वे नामांकन पत्र भर सकें और प्रचार कर सकें।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अदालत में दायर इस याचिका में इमाम ने कहा है कि वे बिहार के बाहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। नामांकन भरने की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर है, जबकि बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में सात और 11 नवंबर को होंगे। इमाम ने याचिका में स्पष्ट किया है कि उनके छोटे भाई के अलावा कोई और नहीं है जो नामांकन और प्रचार की व्यवस्था कर सके, क्योंकि उनका भाई उनकी बीमार मां की देखभाल और परिवार का भरण-पोषण कर रहा है। इसलिए उन्हें अकेले ही सबकुछ करना है।
शरजील इमाम, बिहार के जहानाबाद जिले के काको के निवासी हैं। 25 अगस्त 2020 से लगातार न्यायिक हिरासत में हैं। यह अवधि अब पांच वर्ष और दो माह से अधिक हो चुकी है। वे 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े साजिश मामले में आरोपी हैं, जिसमें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धाराएं लगाई गई हैं। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा से संबंधित इन मामलों में अभी तक कोई आरोप तय नहीं हुए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 सितंबर को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील लंबित है।
याचिका में इमाम ने कहा, "चूंकि वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं और कोई सार्वजनिक पद पर नहीं हैं, इसलिए वे किसी गवाह को प्रभावित करने या साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करने की स्थिति में नहीं हैं।" याचिका में अरविंद केजरीवाल, साधु सिंह धर्मसोत और इंजीनियर अब्दुल रशीद शेख जैसे मामलों का हवाला दिया गया है, जहां अंतरिम जमानत दी गई थी।
इमाम ने 15 से 29 अक्टूबर तक की 14 दिनों की अंतरिम जमानत मांगी है, ताकि वे चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें। अदालत ने अभी इस याचिका पर कोई फैसला नहीं सुनाया है। दिल्ली दंगों की कथित साजिश मामले में लंबे समय से मुकदमे में देरी हो रही है, जहां 500 से अधिक तारीखें लग चुकी हैं और 160 से ज्यादा स्थगन हो चुके हैं। यह स्थिति अकेले शरजील इमाम की नहीं है। उमर खालिद, गुलफिशां फातिमा, मीरान हैदर, खालिद सैफी आदि के साथ भी यही हो रहा है। हर बार तारीख मिलती है।
यह घटनाक्रम बिहार चुनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहां इमाम जैसे स्वतंत्र उम्मीदवार सामाजिक मुद्दों पर फोकस कर सकते हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी याचिकाओं पर अदालतें उम्मीदवार के मौलिक अधिकारों और मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर फैसला लेती हैं। मामले की अगली सुनवाई की तारीख जल्द घोषित होने की संभावना है।