विवादों से भरे मोदी सरकार के वक्फ कानून को कूड़ेदान में डालने वाले तेजस्वी यादव के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी उनसे भिड़ गई है और यह समझाना चाह रही है कि संसद में पारित कानून को कोई चुनौती नहीं दे सकता।
रविवार को सीमांचल के कटिहार में अपने चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा, “जब हमारी सरकार थी तो भाजपा और आरएसएस में दम नहीं था कि कोई दंगा करवा ले। हमलोगों ने कभी भी घुटने नहीं टेके। बीजेपी वाले सबसे ज्यादा लालू यादव से डरते हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि मुस्लिमों की मर्जी के खिलाफ जो कानून वक्फ बिल बीजेपी लाई है, हमारी सरकार बनने पर उसे कूड़ेदान में फेंक देंगे।”
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सब को पता है कि अगर तेजस्वी की सरकार बनती भी है तो वह इस कानून को राज्य से रद्द नहीं कर सकती लेकिन अपने इस बयान से तेजस्वी यादव दरअसल वक्फ के मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय को अपना समर्थन दोहराना चाह रहे हैं। वह यह भी कर सकते हैं कि अगर उनकी सरकार बनती है तो विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करवाएं। 
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गौर करने की एक बात यह भी है कि हालांकि जदयू ने संसद में वक्फ कानून के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया था लेकिन तेजस्वी के ताजा बयान पर अभी जदयू के वरिष्ठ नेताओं की ओर से कोई वैसा आक्रामक बयान सामने नहीं आया है जैसा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता दे रहे हैं। इस मुद्दे पर नीतीश कुमार पहले से मुस्लिम समुदाय की आलोचना का सामना कर रहे हैं और शायद जदयू की नीति यह हो कि इस मामले को और आगे ना बढ़ाया जाए। हालांकि जदयू के एक प्रवक्ता ने तेजस्वी के बयान को केवल एक खोखला चुनावी नारा बताया।
तेजस्वी का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि कम सीट दिए जाने और उपमुख्यमंत्री के लिए मुस्लिम उम्मीदवार का नाम न लेने के मुद्दे पर राजद के खिलाफ मुसलमान का एक वर्ग नाराज चल रहा था। हालांकि बाद में यह बात सामने आई कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो एक उपमुख्यमंत्री मुस्लिम समुदाय से भी होगा।
चुनावी लिहाज से सीमांचल का इलाका राजद के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है कि यहां मुसलमान की संख्या अच्छी है और पिछले चुनाव में उसे एआईएमआईएम की वजह से कुछ सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। वैसे इस नाराजगी से इतर भी तेजस्वी यादव शुरू से वक्फ कानून के विरोध में मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े रहे हैं और जब बिहार में इसके विरोध में आंदोलन हो रहा था तो उसमें भी वह अपने पिता लालू प्रसाद के साथ शामिल हुए थे।
तेजस्वी यादव के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने एक ऐसा विवादास्पद बयान दिया है जो उत्तर प्रदेश और भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले दूसरे राज्यों में सुनने को मिलता था लेकिन बिहार अब तक से बचा था। उन्होंने यह दावा किया कि तेजस्वी उस वक्फ क़ानून को कूड़े में फेंकने की बात कह रहे हैं “जिससे मुसलमानों को फायदा होगा।” लेकिन इससे आगे बढ़कर उन्होंने कहा कि तेजस्वी नमाज़वादी हैं।
समाजवाद और नमाजवाद जैसे विवादों से भरे बोल अब नीतीश कुमार के बिहार में भी यह सुनने को मिल रहा है जिससे पता चलता है कि सरकार पर उनकी पकड़ मजबूत नहीं है और भारतीय जनता पार्टी मनमाने ढंग से बयानबाजी कर रही है। सबको पता है कि नमाजवाद जैसी कोई चीज नहीं है लेकिन दरअसल इस शब्द से भारतीय जनता पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि जिन पार्टियों को सेक्यूलर माना जाता है वह दरअसल नमाजवादी हैं यानी मुसलमानों की पार्टी है और इसमें यह संदेश भी होता है कि उन्हें हिंदुओं से कोई मतलब नहीं।
विजय कुमार सिन्हा के अलावा लोकसभा सदस्य और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने भी इस मामले में तेजस्वी यादव की आलोचना की है। इन नेताओं का कहना है कि वक्फ कानून देश की संसद से पास है और इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी। उनका आरोप है कि अगर तेजस्वी इस तरह से कानून को कूड़ेदान में फेंकने की बात करते हैं तो वह सत्ता में आने के बाद अराजकता फैलाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अपने समर्थकों और दूसरे वर्गों को यह संदेश देना चाहती है कि वक्फ कानून चाहे जितना विवादास्पद हो क्योंकि इस भारत की संसद में पास किया है इसलिए इसका विरोध नहीं हो सकता। उनका कहना है कि हालांकि भारतीय लोकतंत्र में संसद से पास कानून की नहीं बल्कि संविधान की सर्वोच्चता मानी गई है। यानी हर कानून को संविधान के नीचे ही माना जाएगा और उसी हिसाब से उस पर बात भी होगी और उसे बदला भी जा सकता है। ऐसे कानून को कोर्ट भी बदलता रहा है और हाल के दिनों में सरकार ने भी संसद से पास कानून वापस लिए हैं जिसका ज्वलंत उदाहरण कृषि कानून है जिसके भारी विरोध के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार से वापस लेने को मजबूर हुई थी।
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विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यह सही है कि केंद्र से बनाए गए कानून को बिहार सरकार नहीं बदल सकती लेकिन कम से कम अपने राज्य में उसे लागू न करने का फैसला ले सकती है और उसके खिलाफ अदालत भी जा सकती है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी के नेता चाहते हैं कि कई तरह के विवादों से भरे वक्फ कानून का विरोध कहीं से नहीं हो और अगर कोई इसका विरोध करता है तो इस विरोध का इस्तेमाल धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए किया जाए। ऐसे में तेजस्वी यादव जैसे नेता अगर इसका विरोध करते हैं तो भारतीय जनता पार्टी के नैरेटिव को चुनौती देने में आसानी होगी।