loader

चंद्रशेखर की गिरफ़्तारी: कोर्ट ने पुलिस से पूछा, क्या आपने संविधान पढ़ा है? 

दिल्ली के जामा मसजिद परिसर में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शामिल होने पर गिरफ़्तार किए गए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद के मामले में कोर्ट ने पुलिस को ज़बरदस्त फटकार लगाई है। दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट ने कहा है कि प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट को यहाँ तक कहना पड़ा कि कौन कहता है कि प्रदर्शन नहीं कर सकते... क्या आपने संविधान पढ़ा है? कोर्ट ने पुलिस की ओर से पेश वकील की दलीलों पर सख्त टिप्पणी की। हालाँकि पुलिस द्वारा सबूत देने के लिए और समय माँगा गया। इस मामले में अब आगे की सुनवाई कल होगी। 

ताज़ा ख़बरें

चंद्रशेखर आज़ाद का यह मामला 20 दिसंबर का है। बता दें कि नमाज के दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जामा मसजिद पर जुटे थे। इसके बाद यहाँ से मार्च शुरू हुआ जिसे पुलिस ने दिल्ली गेट पर रोक लिया था। प्रदर्शनकारी जंतर-मंतर तक जाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी। जामा मसजिद परिसर में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर एकाएक शामिल हुए थे। जब पुलिस उनको हिरासत में लेने पहुँची थी तो वह वहाँ से बच निकले थे। उसके अगले दिन तड़के ही उन्हें हिरासत में तब लिया गया था जब उन्होंने जामा मसजिद के बाहर पुलिस के सामने आत्म समर्पण किया था। बाद में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था। 

कोर्ट में पुलिस की ओर से कहा गया कि चंद्रशेखर ने हिंसा भड़काने वाला भाषण दिया और सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, जब पुलिस के वकील ने धरना में शामिल होने जाने के बारे में चंद्रशेखर आज़ाद के एक सोशल मीडिया पोस्ट को पढ़ा तो जज कामिनी लाउ ने कहा, 'धरना में क्या ग़लत है? प्रदर्शन में क्या ग़लत है? प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है।' जज ने आगे कहा, 'हिंसा कहाँ है? इन पोस्टों में ग़लत क्या है? किसने कहा कि प्रदर्शन नहीं कर सकते... क्या आपने संविधान पढ़ा है?'

जज ने साफ़ कहा कि इनमें से कोई भी पोस्ट असंवैधानिक नहीं थे। 

कोर्ट ने पुलिस के ख़िलाफ़ सख्त टिप्पणी की। इसने कहा कि 'आप ऐसे पेश आ रहे हैं जैसे जामा मसजिद पाकिस्तान में है। यदि यह पाकिस्तान में भी था तो आप वहाँ जाकर प्रदर्शन कर सकते थे। बँटवारे से पहले पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था।' 

दिल्ली से और ख़बरें

जज ने यह भी कहा कि उन्होंने संसद के बाहर भी प्रदर्शन देखे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे आप यह दिखाएँ कि किस क़ानून के तहत धार्मिक जगहों के बाहर प्रदर्शन करना मना है। उन्होंने पुलिस से कहा कि क्या आज़ाद द्वारा हिंसा किए जाने का कोई सबूत है? इस पर पुलिस ने कहा कि उन्होंने ड्रोन से फ़ुटेज ली है और ऐसे सबूत हैं जिसमें आज़ाद भड़काऊ भाषण दे रहे हैं। पुलिस ने सबूत देने के लिए और समय माँगा। 

जब पुलिस के वकील ने यह जिरह की कि ऐसे प्रदर्शनों के लिए अनुमति लेनी ज़रूरी होती है तो कोर्ट ने पूछा, 'कैसी अनुमति? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धारा 144 का बार-बार इस्तेमाल उल्लंघन है।' बता दें कि पिछले हफ़्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अलग विचार रखने वालों को दबाने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लगाए जाने के संबंध में कही थी। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें