ऐसे समय जब राजनीतिक विरोधियों को कुचलने और असहमति की आवाज़ को दबाने के लिए राजद्रोह के क़ानून का दुरुपयोग करने का आरोप केंद्र व राज्य सरकारों पर लगने लगा है, दिल्ली की एक अदालत ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि ‘शांति व क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजद्रोह का क़ानून बहुत ही कारगर हथियार है, पर बदमाशों को दबाने के नाम पर असहमति की आवाज़ को चुप नहीं कराया जा सकता है।’
अदालत : राजद्रोह क़ानून से असहमति की आवाज़ चुप नहीं कर सकते
- दिल्ली
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- 17 Feb, 2021

दिल्ली की एक अदालत ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि ‘शांति व क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजद्रोह का क़ानून बहुत ही कारगर हथियार है, पर समाज-विरोधियों को दबाने के नाम पर असहमति की आवाज़ को चुप नहीं कराया जा सकता है।’

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने देवी लाल बर्दक और स्वरूप राम को फ़ेसबुक पर कथित फ़र्जी पोस्ट के मामले में ज़मानत देते हुए कहा कि धारा 124 ‘ए’ (राजद्रोह) गंभीर बहस का मुद्दा है।

























