आज जब हम और तोताराम बरामदे में बैठे थे तो अपनी बाजार की चौकीदारी की नाइट ड्यूटी करके जा रहा चौकीदार हमें देखकर रुक गया, बोला- अच्छा रहा जो आप दोनों यहीं मिल गए वरना मुझे तोताराम जी के घर अलग से जाना पड़ता। सेठ जी ने आप दोनों को अभी अपने बेटे की शादी के खाने पर बुलाया है।

जाने-माने व्यंग्यकार रमेश जोशी का ताज़ा व्यंग्य लेख ‘हमें मोदी जी समझ रखा है क्या?’ राजनीति, जनमानस और सत्ता के संवाद पर तीखा और चुटीला तंज है।
सेठ जी मतलब वह दुकानदार जिसके यहाँ से हम और तोताराम परचून का सामान लाते हैं।
हमने पूछा- इतने पंडित तो हम भी हैं। अभी तो वृहस्पति अस्त चल रहा है 10 जून से 6 जुलाई तक शादी का कोई मुहूर्त ही नहीं बनता।
बोला- मुहूर्त का क्या है मास्टर जी, एक्स्ट्रा दक्षिणा दो या पीठ पर कट्टा लगा दो तो मुहूर्त का क्या है, पंडित जी जब चाहें निकाल दें। चुनाव की जल्दी थी तो रामलला की प्राणप्रतिष्ठा का मुहूर्त पंचक में निकाल दिया कि नहीं?