अभूतपूर्व चुनाव प्रचार और एक छोटे से राज्य को जीतने के लिए जिस तरह से किसी पार्टी ने कई केंद्रीय मंत्रियों, सौ से ज़्यादा सांसदों, 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों-उप मुख्यमंत्रियों, गृह मंत्री और स्वयं प्रधानमंत्री को मैदान में उता दिया, उससे दिल्ली विधानसभा चुनाव सामान्य चुनाव नहीं रहा। सिर्फ़ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।