कई वर्षों पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जब पहली बार संघ मुख्यालय में नागपुर में मुझसे मिले थे, तब मैंने उनसे कहा था कि आप ‘गडकरी’ हैं या ‘गदगद्करी’ हैं? अख़बारों में आपकी बातें पढ़कर मेरी तबियत गदगद् हो जाती है। पिछले दो दिन से देश के अख़बारों में उनके भाषणों की रिपोर्ट पढ़कर मुझसे ज़्यादा कौन खुश होगा? उनके भाषणों का सार मेरे इन तीन शब्दों में आ जाता है। सर्वज्ञजी, प्रचार