अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी
नोट में विस्तार से बताए गए ओवर-वैल्यूएशन के तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके अडानी समूह ने विदेशों में लगभग 6278 करोड़ रुपये भेजे। तमाम जांचों से यह भी पता चला है कि निकाले गए धन का एक बड़ा हिस्सा दुबई से मॉरीशस में ट्रांसफर किया गया था और उस धन का एक हिस्सा अडानी समूह में निवेश किया गया और फिर विनिवेश के रूप में भारत के शेयर बाजारों में पहुंचा दिया गया है। सेबी चूंकि शेयर बाजार में अडानी समूह की कंपनियों के लेनदेन की जांच कर रही है। इसलिए 2323 करोड़ रुपये (एक नोट से संबंधित) की हेराफेरी से संबंधित साक्ष्य वाली एक सीडी इसके साथ संलग्न है।
डीआरआई के इस पत्र में दुबई की कंपनी का जिक्र आया है। फंड मारीशस की कंपनी में ट्रांसफर किए गए हैं और बाद में वही पैसा भारतीय शेयर मार्केट में निवेश कर दिया गया। यही बात ओसीसीआरपी और द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में कही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दुबई में अडानी के परिवार के विनोद अडानी इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे। अडानी परिवार के दो सहयोगी अलग से शेल कंपनी चला रहे थे। वित्तीय ट्रांजैक्शन उनसे भी किया गया। फिर यह पैसा मारीशस की शेल कंपनियों में भेजा गया। यानी डीआरआई के इस पत्र से और ओसीसीआरपी के तमाम तथ्य मेल खाते हैं।