गुजरात के बंदरगाहों से पिछले पांच वर्षों (2020-2024) के दौरान अवैध ड्रग्स की तस्करी के बड़े खुलासे हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में देश भर के बंदरगाहों पर 11,300 करोड़ रुपये की अवैध ड्रग्स जब्त की गई, जिसमें से 65% (लगभग 7,383 करोड़ रुपये) गुजरात के बंदरगाहों से जब्त की गई। इनमें अकेले अडानी समूह के मुंद्रा पोर्ट से 6386 करोड़ की ड्रग्स शामिल है। यह जानकारी हाल ही में राज्यसभा में प्रस्तुत की गई। 

गुजरात के प्रमुख बंदरगाह और जब्ती के आंकड़े 

सरकार ने बताया कि गुजरात के मुंद्रा, पिपावाव, गांधीधाम और अन्य कंटेनर फ्रेट स्टेशनों (सीएफएस) से इस अवधि में सबसे अधिक ड्रग्स जब्त की गई। विशेष रूप से, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) के मुंद्रा बंदरगाह पर 6,386 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई, जबकि पिपावाव बंदरगाह पर 180 करोड़ रुपये और मुंद्रा व गांधीधाम के सीएफएस पर क्रमशः 377 करोड़ और 302 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई। इसके अलावा, महाराष्ट्र के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (जेएनपीटी) पर 2,284 करोड़ रुपये, तमिलनाडु के वीओ चिदंबरनार पोर्ट (तूतीकोरिन) पर 1,515 करोड़ रुपये और कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट पर 78 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई।

जब्त की गई ड्रग्स का प्रकार और मात्रा 

पिछले पांच वर्षों में, देश भर के पांच प्रमुख बंदरगाहों और तीन कंटेनर फ्रेट स्टेशनों पर लगभग 5,000 किलोग्राम अवैध ड्रग्स जब्त की गई। इनमें हेरोइन, कोकेन, मेथमफेटामाइन और ट्रामाडोल टैबलेट्स व इंजेक्शन शामिल हैं। विशेष रूप से, 2024 में मुंद्रा और कोलकाता के सीएफएस से 71.32 लाख ट्रामाडोल टैबलेट्स और 1,000 ट्रामाडोल इंजेक्शन जब्त किए गए।
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केंद्र सरकार के अनुसार, इन बरामदगियों के सिलसिले में कम से कम 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सरविन एक्सपोर्ट्स, संधू एक्सपोर्ट्स के मालिक और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट पर हुए मामलों के कस्टम हाउस एजेंट (सीएचए) शामिल हैं। इसी तरह, मुंद्रा स्थित एपीएसईज़ेड में दर्ज मामलों के लिए तीन कस्टम ब्रोकरों - पैसिफिक इंडस्ट्रीज लिमिटेड, अहमदाबाद; कॉन्ट्रांस शिपिंग प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और सारथी शिपिंग कंपनी लिमिटेड, गांधीधाम के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। इस अवधि के दौरान दर्ज किए गए ये 19 मामले जाँच और सुनवाई के विभिन्न चरणों में हैं।

क्यों बदनाम है अडानी समूह का मुंद्रा पोर्ट

गुजरात में मुंद्रा पोर्ट, पर नशे की तस्करी में वृद्धि के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। नशे की तस्करी बढ़ने के कुछ कारण इस तरह है:

लंबा समुद्री तट और व्यस्त बंदरगाह: गुजरात का समुद्री तट लगभग 1,600 किलोमीटर लंबा है, जो भारत का सबसे लंबा तटीय क्षेत्र है। यह विशाल तट और व्यस्त बंदरगाह ड्रग तस्करों के लिए एक सुविधाजनक एंट्री प्वाइंट हैं। मुंद्रा पोर्ट भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है, जहां बड़ी मात्रा में माल की आवाजाही होती है, जिससे तस्करी को छिपाना आसान हो जाता है। इसका संचालन अडानी समूह करता है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्ग: मुंद्रा पोर्ट कच्छ की खाड़ी में स्थित है, जो ऐतिहासिक रूप से व्यापार का केंद्र रहा है और अब अंतरराष्ट्रीय आयात-निर्यात का प्रमुख केंद्र है। यह पोर्ट अरब सागर के रणनीतिक व्यापार मार्ग पर स्थित है, जिसका उपयोग तस्कर ड्रग्स को छिपाकर लाने के लिए करते हैं।


अडानी के पोर्ट पर इतना कमजोर सर्विलांस क्यों

हालांकि सुरक्षा एजेंसियां जैसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), भारतीय नौसेना, और गुजरात ATS सक्रिय हैं, लेकिन पोर्ट पर आने वाले हजारों कंटेनरों की जांच करना चुनौतीपूर्ण है। तस्कर ड्रग्स को सामान्य सामान जैसे टैल्कम पाउडर या अन्य वैध उत्पादों में छिपाकर लाते हैं। उदाहरण के लिए, 2021 में मुंद्रा पोर्ट पर 3,000 किलो हेरोइन टैल्कम पाउडर के रूप में पकड़ी गई थी। शिपिंग इंडस्ट्री के लोग सोशल मीडिया पर लिखते रहे हैं कि मुंद्रा में बहुत कमजोर सर्विलांस हैं। सारे कंटेनर चेक ही नहीं हो पाते।

ड्रग माफिया का संगठित नेटवर्क: ड्रग तस्करी में अंतरराष्ट्रीय माफिया और संगठित अपराधी गिरोह शामिल हैं, जो स्थानीय स्तर पर भी सक्रिय हैं। ये गिरोह गुजरात के पोर्ट्स को ड्रग्स की आपूर्ति के लिए हब के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जहां से ड्रग्स को उत्तर भारत, विशेष रूप से दिल्ली और पंजाब, में भेजा जाता है। आखिर जांच एजेंसियां ड्रग माफिया कर्टेल को क्यों नहीं तोड़ पा रही हैं। इन्हें किनका संरक्षण मिला हुआ है।

आतंकी फंडिंग और ड्रग्स का गठजोड़: कुछ मामलों में, ड्रग्स की तस्करी से प्राप्त पैसे का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए किया जाता है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने खुलासा किया है कि मुंद्रा पोर्ट से जब्त ड्रग्स की बिक्री का पैसा पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों को जाता है।


राजनीतिक और सामाजिक आरोप: कुछ विपक्षी दल, जैसे कांग्रेस, ने आरोप लगाया है कि गुजरात में ड्रग्स तस्करी में कुछ बीजेपी नेताओं या उनके रिश्तेदारों की संलिप्तता हो सकती है, जिससे जांच में बाधा आती है। हालांकि, ये आरोप विवादास्पद हैं और ठोस सबूतों की कमी है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने मात्र आंकड़ों के आधार पर आरोप लगाए लेकिन कोई सबूत नहीं दे पाए। लेकिन बीजेपी ने कभी न तो आंकड़ों को और न ही आरोपों को चुनौती दी यानी चुप रही।

निजीकरण और जवाबदेही की कमी: मुंद्रा पोर्ट अडानी समूह द्वारा संचालित है, जो केवल पोर्ट ऑपरेटर है और शिपमेंट्स की जांच का अधिकार सीमा शुल्क और DRI जैसी सरकारी एजेंसियों के पास है। अडानी समूह ने स्पष्ट किया है कि उनकी भूमिका केवल पोर्ट संचालन तक सीमित है, लेकिन बार-बार ड्रग्स की बरामदगी ने उनकी छवि को प्रभावित किया है।


अफगानिस्तान विश्व में हेरोइन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो वैश्विक स्तर पर 80% हेरोइन की सप्लाई करता है। मुंद्रा पोर्ट पर पकड़ी गई अधिकांश ड्रग्स, विशेष रूप से 2021 में 21,000 करोड़ रुपये की हेरोइन, अफगानिस्तान से आई थी। इसी तरह पाकिस्तान से भी बड़े पैमाने पर ड्रग्स भारत आ रही है।
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गुजरात के अडानी समूह के पोर्ट पर ड्रग्स तस्करी की वृद्धि का मुख्य कारण इसकी भौगोलिक स्थिति, व्यस्त व्यापार मार्ग, और संगठित माफिया नेटवर्क हैं। ड्रग्स मुख्य रूप से अफगानिस्तान, पाकिस्तान, और ईरान से आ रही हैं, जिन्हें समुद्री रास्तों के माध्यम से भारत में लाया जाता है। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता के कारण कई बड़ी खेपें पकड़ी गई हैं, लेकिन तस्करों के रिसीवर और पूरे नेटवर्क को तोड़ना अभी भी एक बड़ी चुनौती है। यह गहन जांच का विषय है कि इस नेटवर्क को संरक्षण कौन दे रहा है।