Bihar SIR विवाद पर सरकार संसद में बहस कराना क्यों नहीं चाहती है? और क्या विपक्षी इंडिया गठबंधन सरकार के तर्क को मान लेगा? जानिए, खड़गे के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन और केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने क्या-क्या कहा।
बिहार एसआईआर विवाद खड़गे बनाम रिजिजू
बिहार में एसआईआर को लेकर बुधवार को हंगामा तब और बढ़ गया जब संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे अदालत में विचाराधीन मामला बताते हुए सदन में चर्चा से इनकार कर दिया। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया। इस मुद्दे ने संसद की कार्यवाही को बार-बार बाधित किया। इस कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों को कई बार स्थगित करना पड़ा। सदन के बाहर भी विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद में इस पर चर्चा कराने के लिए इंडिया गठबंधन के दल एकजुट हैं।
इंडिया ब्लॉक की मांग
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को जोर देकर कहा कि इंडिया ब्लॉक बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर पर संसद में चर्चा चाहता है, क्योंकि यह सभी भारतीयों के मतदान अधिकारों की रक्षा से जुड़ा एक अहम मुद्दा है। नई दिल्ली के विजय चौक पर इंडिया ब्लॉक के नेताओं की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में खड़गे ने दावा किया कि इस प्रक्रिया के ज़रिए अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के मतदान अधिकारों को ख़तरा है। उन्होंने कहा, 'हम बार-बार सरकार, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति से अनुरोध कर रहे हैं कि लोगों के मतदान अधिकारों को न छीना जाए। SIR प्रक्रिया में यही हो रहा है।' खड़गे ने इसको लेकर राज्यसभा के सभापति को एक ख़त भी लिखा है।
खड़गे ने यह भी तर्क दिया कि संसद में हर मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, जैसा कि पूर्व राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2023 को कहा था कि राज्यसभा यहाँ मौजूद किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए अधिकृत है, सिवाय एक अपवाद के।' उन्होंने सरकार और सभापति पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना यूबीटी, एनसीपी-एसपी और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई। सागरिका घोष ने कहा कि विपक्ष संसद के अंदर और बाहर SIR के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा और 11 अगस्त को चुनाव आयोग के कार्यालय तक मार्च निकाला जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों पर हमले हो रहे हैं, और यह लोकतंत्र के खिलाफ है।
दूसरी ओर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ़ किया कि SIR का मुद्दा विचाराधीन है और यह स्वायत्त संवैधानिक निकाय चुनाव आयोग से संबंधित है, इसलिए इस पर संसद में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, 'लोकसभा के नियम विचाराधीन मामलों पर चर्चा की अनुमति नहीं देते। साथ ही, चुनाव आयोग जैसे स्वायत्त संस्थानों के कामकाज पर संसद में बहस नहीं हो सकती।' रिजिजू ने विपक्ष से संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने देने और महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा में भाग लेने का आग्रह किया।
रिजिजू ने यह भी कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर नियमों के अनुसार चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन SIR पर बहस संवैधानिक नियमों और परंपराओं के खिलाफ होगी।
SIR का विवाद क्या?
बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब चुनाव आयोग ने राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन की घोषणा की। इस प्रक्रिया में 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिसके कारण राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ हो गई।
इंडिया ब्लॉक ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता आधार को कम करने और विशेष रूप से प्रवासियों, अल्पसंख्यकों और सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों को वोट देने से वंचित करने की साजिश है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि यह वोटबंदी है।
संसद में हंगामा और स्थगन
SIR के मुद्दे पर मानसून सत्र बार-बार बाधित हुआ है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी की और सदन के वेल में उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष की स्थगन प्रस्ताव की मांग को खारिज कर दिया, जिसके कारण दोनों सदनों को कई बार स्थगित करना पड़ा। विपक्ष ने न केवल संसद के अंदर, बल्कि बाहर भी विरोध प्रदर्शन तेज किए।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उपसभापति हरिवंश के उस फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने 1988 के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले का हवाला देते हुए SIR पर चर्चा से इनकार किया। रमेश ने कहा कि 21 जुलाई 2023 को तत्कालीन राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने साफ़ तौर पर कहा था कि राज्यसभा किसी भी विषय पर चर्चा कर सकती है, सिवाय एक अपवाद के, जो किसी जज के आचरण से संबंधित हो।
रमेश ने कहा, "मोदी सरकार द्वारा ही नियुक्त राज्यसभा के सभापति ने 21 जुलाई 2023 को स्पष्ट रूप से निर्णय दिया था कि 'राज्यसभा इस धरती पर मौजूद किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए अधिकृत है, बस एक अपवाद को छोड़कर।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि 'यह एकमात्र प्रतिबंध' न्यायाधीशों के आचरण से संबंधित है, वह भी केवल तभी जब उनका निष्कासन का प्रस्ताव लंबित हो। उस समय के सभापति ने यह भी जोड़ा था कि सब-जुडिस (अदालत में विचाराधीन मामला) की अवधारणा पूरी तरह से गलत तरीके से समझी गई है।"
सरकार ने विपक्ष पर संसद की कार्यवाही बाधित करने और इसे राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। रिजिजू ने कहा, 'करोड़ों रुपये संसद चलाने में खर्च होते हैं। कांग्रेस और उसके सहयोगियों को अपने आचरण के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।' दूसरी ओर, इंडिया ब्लॉक ने 11 अगस्त को चुनाव आयोग के कार्यालय तक विरोध मार्च की योजना बनाई है और इस मुद्दे को संसद के बाहर भी जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है।
बिहार में SIR को लेकर चल रहा विवाद न केवल संसद के मानसून सत्र को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह लोकतंत्र और मतदान अधिकारों पर भी गहरे सवाल खड़े कर रहा है। विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया कमजोर वर्गों के अधिकारों को छीनने की साजिश है, जबकि सरकार इसे संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा बताकर चर्चा से इनकार कर रही है। यह टकराव संसद की कार्यवाही को और प्रभावित कर सकता है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गहराने की संभावना है।