ईसीआई का कहना है कि बिहार के 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 6.5 करोड़ लोगों को कोई अतिरिक्त दस्तावेज नहीं देना होगा, क्योंकि उनके या उनके माता-पिता का नाम 2003 की सूची में है। लेकिन विपक्षी दलों को आशंका है कि करीब 2 करोड़ लोगों के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं।