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जेएनयू की नयी वीसी का नोट निरक्षरता की प्रदर्शनी: बीजेपी नेता वरुण गांधी

ट्विटर पर अपने नफ़रत वाली पोस्टों के लिए सुर्खियों में आईं जेएनयू की नयी वीसी शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित अब व्याकरण की ग़लतियों के लिए निशाने पर हैं। जिन्होंने पंडित को निशाना बनाया है उनमें बीजेपी के सांसद भी शामिल हैं।

शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित की जिन व्याकरण संबंधी ग़लतियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं वह जेएनयू में वीसी के तौर पर उनकी पहली प्रेस विज्ञप्ति है। इसमें व्याकरण संबंधी ग़लतियाँ बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी गिनाई हैं। उन्होंने कहा, 'नए जेएनयू वीसी की यह प्रेस विज्ञप्ति निरक्षरता की एक प्रदर्शनी है, जो व्याकरण संबंधी ग़लतियों से भरी हुई है (would strive vs will strive; students friendly vs student-friendly; excellences vs excellence)। इस तरह की औसत दर्जे की नियुक्तियाँ हमारी मानव पूंजी और हमारे युवाओं के भविष्य को नुक़सान पहुंचाने का काम करती हैं।'

शांतिश्री पंडित जेएनयू की पहली महिला कुलपति हैं। उन्होंने एम जगदीश कुमार का स्थान लिया है जिनका विश्वविद्यालय के प्रमुख के रूप में एक विवादास्पद कार्यकाल था। जेएनयू में 2016 के राजद्रोह विवाद से लेकर एमएससी के छात्र नजीब अहमद के लापता होने तक के मुद्दों पर कैंपस में लगातार अशांति की ख़बरें आती रहीं। फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन को लेकर भी जेएनयू में हिंसा की ख़बरें आई थीं। विश्वविद्यालय परिसर में घुस कर नकाबपोश गुन्डों ने कई घंटों तक तोड़फोड़ की थी, हिंसा की थी और बड़े पैमाने पर मारपीट की थी। इस हिंसा में कई छात्र घायल हुए थे। 

जगदीश कुमार अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नेतृत्व करेंगे।

इस बीच जेएनयू की नयी चुनी गई वीसी भी विवादों में रही हैं। उनकी जेएनयू में नियुक्ति की घोषणा किए जाने के थोड़ी देर बाद ही कथित तौर पर उनके नाम वाले एक ट्विटर अकाउंट के कुछ पुराने ट्वीट सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने लगे। ये ट्वीट जेएनयू के छात्रों की आलोचना और बीजेपी सरकार के समर्थन से जुड़े थे।

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हालाँकि, यह फ़िलहाल साफ़ नहीं है कि यह अकाउंट प्रो. पंडित का ही है या नहीं। ये ट्वीट एक अनवैरीफाइड हैंडल @SantishreeD से पोस्ट किए गए थे, जिसमें उनका पूरा नाम था। यह ट्विटर अकाउंट फ़िलहाल निष्क्रिय कर दिया गया है।

सोशल मीडिया पर वायरल इन ट्वीट के स्क्रीनशॉट में से एक में अभिनेता-राजनेता कमल हासन को "हिंदू को गाली देने वाला" और "राइस बैग कंवर्ट" के रूप में लिखा गया है। यह एक अपमानजनक शब्द है जिसका इस्तेमाल उन लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है जो कथित तौर पर चावल के एक बैग के लिए ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे।

फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज से जुड़े मोहम्मद जुबैर ने भी कुछ पुराने ट्वीट के स्क्रीनशॉट साझा किए हैं।

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एक ट्वीट जेएनयू के पीएचडी स्कॉलर शर्जील इमाम से जुड़ा है। शर्जील इमाम राजद्रोह के केस में इस समय जेल में हैं। ट्वीट में ‘आईआईटी-बांबे और जेएनयू में तैयार जिहादी’ लिखा गया था। एक अन्य ट्वीट में जेएनयू छात्रों को ‘लूजर’ करार दिया गया। एक अन्य ट्वीट में किसान आंदोलन का विरोध किया गया था। 

एक ट्वीट में कहा गया कि महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे ने "गीता से विपरीत सबक लिया"। इसमें आगे लिखा है, 'गोडसे ने सोचा कि कार्रवाई महत्वपूर्ण थी और एक व्यक्ति महात्मा गांधी की हत्या में एक अखंड भारत के लिए एक समाधान की पहचान की। दुख की बात है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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