सरकार ने दावा किया कि लद्दाख हिंसा के पीछे सोनम वांगचुक के उत्तेजक भाषण ज़िम्मेदार हैं। तो क्या वांगचुक की टिप्पणियों ने सचमुच भीड़ को भड़काया?
लद्दाख हिंसा के लिए केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहरा दिया है।
बुधवार को हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। सोनम वांगचुक लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रही भूख हड़ताल पर थे। वह शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे थे, लेकिन बुधवार को हिंसा भड़कने के बाद उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर नाराज़गी जताई और हिंसा के विरोध में अपनी भूख हड़ताल ख़त्म कर दी। वांगचुक ने हिंसा की निंदा की और शांति की अपील की।
इस बीच केंद्र सरकार ने देर शाम को जारी एक बयान में कहा कि इस हिंसा के लिए क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक जिम्मेदार हैं। गृह मंत्रालय ने दावा किया कि वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल के
जेन-जेड आंदोलनों का जिक्र किया और उनके भड़काऊ भाषणों ने भीड़ को भड़काया। इसके कारण तोड़फोड़, आगजनी और पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुईं।
क्या हुआ लद्दाख में?
लद्दाख में लंबे समय से राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत संरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। लेह एपेक्स बॉडी यानी एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी केडीए के नेतृत्व में 10 सितंबर से शुरू हुई 35 दिन की भूख हड़ताल में सोनम वांगचुक भी शामिल थे। मंगलवार को दो बुजुर्ग प्रदर्शनकारियों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इससे गुस्साए युवाओं ने बुधवार को लेह में बंद का आह्वान किया।
सुबह 11:30 बजे के आसपास एक भीड़ ने लेह में बीजेपी कार्यालय और मुख्य कार्यकारी पार्षद के कार्यालय पर हमला कर दिया। दोनों इमारतों में आग लगा दी गई, एक पुलिस वाहन को जला दिया गया और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। सरकार का कहना है कि पुलिस और सीआरपीएफ़ के 22 जवानों समेत 45 लोग घायल हुए।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा और कुछ रिपोर्टों के अनुसार, आत्मरक्षा में गोलीबारी भी की गई। दोपहर 4 बजे तक स्थिति नियंत्रण में थी और लेह में धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई।
सरकार का आरोप: वांगचुक ने भड़काई हिंसा
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल के दौरान अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन-जेड आंदोलनों का जिक्र कर भीड़ को उकसाया। मंत्रालय ने दावा किया कि वांगचुक ने कई नेताओं के अनुरोध के बावजूद अपनी हड़ताल जारी रखी और भ्रामक बयानों से लोगों को गुमराह किया।
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने भी हिंसा के पीछे षड्यंत्र का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने सीआरपीएफ़ जवानों को जिंदा जलाने की कोशिश की और डीजीपी लद्दाख के वाहन पर पथराव किया। गुप्ता ने कहा कि हिंसा के जिम्मेदार लोगों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय और सांसद संबित पात्रा ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा और दावा किया कि कांग्रेस पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग ने भीड़ को उकसाया। मालवीय ने एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि यह हिंसा राहुल गांधी की उकसावे की रणनीति का हिस्सा है।
सोनम वांगचुक का जवाब
सोनम वांगचुक ने हिंसा पर दुख जताते हुए कहा कि यह उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए सबसे दुखद दिन था। उन्होंने अपनी भूख हड़ताल समाप्त करते हुए युवाओं से हिंसा छोड़ने की अपील की। एक वीडियो संदेश में वांगचुक ने कहा, 'मेरा शांतिपूर्ण रास्ता आज विफल हो गया। मैं युवाओं से अनुरोध करता हूं कि इस बकवास को रोकें, यह हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचाता है।'
वांगचुक ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस का लद्दाख में इतना प्रभाव नहीं है कि वह 5,000 युवाओं को सड़कों पर ला सके। उन्होंने कहा कि हिंसा का तात्कालिक कारण दो प्रदर्शनकारियों का अस्पताल में भर्ती होना था, लेकिन अप्रत्यक्ष कारण युवाओं में पिछले पांच वर्षों से जमा हुई कुंठा थी, क्योंकि उनकी शांतिपूर्ण मांगों को नजरअंदाज किया गया। वांगचुक ने दावा किया कि तीन से पांच युवाओं की मौत हुई है।
वांगचुक ने केंद्र सरकार से 6 अक्टूबर को प्रस्तावित वार्ता को जल्द आयोजित करने और लद्दाख की मांगों पर गंभीरता से विचार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हमें शांतिपूर्ण रास्ते पर रहना चाहिए, हिंसा से हमारा पांच साल का संघर्ष बेकार हो जाएगा।
लद्दाख की मांगें
लद्दाख को 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। तब से लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत संरक्षण, स्थानीय नौकरियों के लिए पब्लिक सर्विस कमीशन, और लेह व कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटों की मांग कर रहे हैं। छठी अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों में स्वायत्त परिषदों के माध्यम से भूमि, संस्कृति और नौकरियों की सुरक्षा देती है।
वांगचुक ने दावा किया कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के हिल काउंसिल चुनावों में छठी अनुसूची का वादा किया था, लेकिन अब इसे नकार रही है।
लद्दाख की भौगोलिक स्थिति, जो चीन और पाकिस्तान की सीमाओं से सटा है, इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। वांगचुक ने चेतावनी दी कि बेरोजगारी और लोकतांत्रिक अधिकारों की कमी सामाजिक अशांति का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि लद्दाख के युवा पिछले पांच साल से बेरोजगार हैं, और उनकी मांगों को अनसुना करना खतरनाक हो सकता है।
लद्दाख में हिंसा ने एक शांतिपूर्ण आंदोलन को विवादों में ला दिया है। केंद्र सरकार और सोनम वांगचुक के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। वांगचुक ने शांति की अपील की है, लेकिन केंद्र से तुरंत वार्ता की मांग भी दोहराई है। लद्दाख के भविष्य और इसकी मांगों का हल अब 6 अक्टूबर को प्रस्तावित वार्ता पर टिका है। क्या केंद्र सरकार लद्दाख की मांगों को पूरा करेगी, या यह गतिरोध और गहराएगा।