आलंद सीट पर इस गड़बड़ी मामले में जानकारी साझा किए जाने पर सीआईडी और चुनाव आयोग में विवाद है। सीआईडी ने आईपी लॉग्स यानी इंटरनेट प्रोटोकॉल लॉग्स, डेट, टाइम, डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट्स की मांग की, ताकि फर्जी आवेदनों के पीछे के मशीनों और सेशन्स का पता लगाया जा सके।
सीआईडी द्वारा मांगी गई जानकारी
कर्नाटक सीआईडी ने फर्जी वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए इस्तेमाल होने वाले फॉर्म की जांच के लिए ये जानकारी मांगी-
डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट्स : ये उन सत्रों से संबंधित हैं, जिनके माध्यम से फर्जी फॉर्म 7 आवेदन ऑनलाइन जमा किए गए थे। डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट अद्वितीय होते हैं और इनसे उन डिवाइसों का स्थान यानी geolocation पता लगाया जा सकता है, जिनसे ये आवेदन किए गए।
OTP ट्रेल्स: सीआईडी ने यह साफ़ करने को कहा कि क्या OTP आवेदक के मोबाइल नंबर पर भेजा गया था या फॉर्म 7 में दर्ज नंबर पर। यह जानकारी यह समझने के लिए जरूरी है कि फर्जी आवेदनों में OTP को कैसे बायपास किया गया।
आईपी लॉग्स की पूरी जानकारी: सीआईडी ने बार-बार आईपी लॉग्स, तारीख़, समय, डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट्स की मांग की है, क्योंकि ये जानकारी अपराधियों को ट्रैक करने में मदद कर सकती है।