आलंद में 6018 फर्जी वोट मामले में क्या कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी अपने ही दावों पर फँस गए हैं? राहुल गांधी के आरोपों पर कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी यानी सीईओ ने दावा किया कि आलंद फर्जी वोट मामले में सारी जानकारी 2023 में ही सीआईडी को दे दी गई थी। लेकिन चौंकाने वाला खुलासा यह है कि इसी कर्नाटक सीईओ ने 2025 में भी ईसीआई को बार-बार पत्र लिखकर वही जानकारी मांगी! कम से कम कांग्रेस ने तो यही दावा किया है। इसने तो कर्नाटक सीईओ के हस्ताक्षर किए हुए दस्तावेज भी जारी कर दिए। कांग्रेस ने पूछा है कि कर्नाटक सीईओ के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज सही हैं या फिर राहुल के आरोपों पर बिना हस्ताक्षर वाले दिए गए जवाब? क्या यह जांच में देरी की साजिश है? 

यह मामला 2022-23 में कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में शुरू हुआ जब दिसंबर 2022 में इलेक्शन रजिस्ट्रेशन ऑफिसर यानी ईआरओ को 6018 फॉर्म-7 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें मतदाता सूची से नाम हटाने की मांग की गई थी। ये आवेदन एनवीएसपी, वीएचए और गरुड़ जैसे ऑनलाइन ऐप्स के जरिए जमा किए गए थे। जांच में पता चला कि इनमें से 5994 आवेदन फर्जी थे और इन्हें कथित तौर पर कांग्रेस समर्थकों को निशाना बनाकर दाखिल किया गया था। एक बूथ लेवल अधिकारी ने अपने चाचा का नाम हटाए जाने की शिकायत के बाद इस धोखाधड़ी का खुलासा किया, जिसके बाद फरवरी 2023 में आलंद पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई। इस केस को सीआईडी को सौंपा गया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले को 'वोट चोरी' करार देते हुए दावा किया कि यह एक संगठित साजिश थी, जिसमें कर्नाटक के बाहर के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर मतदाताओं के नाम हटाए गए। राहुल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर जांच में सहयोग न करने और 'लोकतंत्र की हत्या' में शामिल होने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा कि कर्नाटक सीआईडी ने 18 महीनों में 18 पत्र लिखकर ईसीआई से जानकारी मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

सीईओ का दावा और विरोधाभास

राहुल के आरोपों के बाद कर्नाटक के सीईओ ने 18 सितंबर 2025 को दावा किया कि आलंद मामले से संबंधित सभी जानकारी 6 सितंबर 2023 को ही सीआईडी को सौंप दी गई थी। उन्होंने कहा कि ईसीआई के निर्देश पर, कलबुर्गी जिले के पुलिस अधीक्षक को सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए थे। हालांकि, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत और गुरदीप सप्पल ने इस दावे को चुनौती दी। 

गुरदीप सप्पल ने एक्स पर सवाल उठाया, 'अगर सीईओ ने सारी जानकारी 2023 में ही दे दी थी, तो फिर 14 मार्च 2025 को ईसीआई को पत्र क्यों लिखा गया? यह जानकारी देश से किसके कहने पर छिपाई जा रही है? आखिर ईसीआई और सीईओ कर्नाटक देश को गुमराह करने वाला जवाब क्यों दे रहे हैं? किसे बचाने की कोशिश हो रही है?'
सप्पल ने सीईओ के दो दस्तावेजों का हवाला देते हुए इस विरोधाभास को उजागर किया, जिससे यह सवाल उठा कि क्या जानबूझकर जांच में देरी की जा रही है।

सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स पर पोस्ट कर दावा किया कि सीईओ ने फरवरी और मार्च 2025 में कम से कम पांच बार 1 फरवरी, 4 फरवरी, 14 फरवरी, 25 फरवरी, और 14 मार्च 2025 को ईसीआई को पत्र लिखकर सीआईडी द्वारा मांगी गई जानकारी साझा करने का आग्रह किया था। इसमें ख़ासकर डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट्स जैसे तकनीकी डेटा को लेकर जोर दिया गया था।

जानकारी देने पर सीआईडी और ईसीआई का विवाद

आलंद सीट पर इस गड़बड़ी मामले में जानकारी साझा किए जाने पर सीआईडी और चुनाव आयोग में विवाद है। सीआईडी ने आईपी लॉग्स यानी इंटरनेट प्रोटोकॉल लॉग्स, डेट, टाइम, डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट्स की मांग की, ताकि फर्जी आवेदनों के पीछे के मशीनों और सेशन्स का पता लगाया जा सके। 

सीआईडी द्वारा मांगी गई जानकारी

कर्नाटक सीआईडी ने फर्जी वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए इस्तेमाल होने वाले फॉर्म की जांच के लिए ये जानकारी मांगी-

डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट्स : ये उन सत्रों से संबंधित हैं, जिनके माध्यम से फर्जी फॉर्म 7 आवेदन ऑनलाइन जमा किए गए थे। डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट अद्वितीय होते हैं और इनसे उन डिवाइसों का स्थान यानी geolocation पता लगाया जा सकता है, जिनसे ये आवेदन किए गए।

OTP ट्रेल्स: सीआईडी ने यह साफ़ करने को कहा कि क्या OTP आवेदक के मोबाइल नंबर पर भेजा गया था या फॉर्म 7 में दर्ज नंबर पर। यह जानकारी यह समझने के लिए जरूरी है कि फर्जी आवेदनों में OTP को कैसे बायपास किया गया।

आईपी लॉग्स की पूरी जानकारी: सीआईडी ने बार-बार आईपी लॉग्स, तारीख़, समय, डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट्स की मांग की है, क्योंकि ये जानकारी अपराधियों को ट्रैक करने में मदद कर सकती है।

चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी

चुनाव आयोग ने दावा किया है कि उसने सीआईडी को जानकारी उपलब्ध करा दी है, लेकिन यह सीआईडी की मांगों को पूरी तरह से पूरा नहीं करती। दी गई जानकारी में शामिल हैं-

फर्जी फॉर्म 7 आवेदनों का डेटा: इसमें आवेदक का नाम, EPIC नंबर, लॉगिन के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल नंबर, आवेदन में दर्ज मोबाइल नंबर, सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, IP एड्रेस, आवेदन जमा करने की तारीख और समय, और यूजर अकाउंट बनाए जाने की तारीख शामिल है।

नौ मोबाइल नंबरों की जानकारी: ये नंबर महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से जुड़े हैं, जिनका इस्तेमाल ईसीआई के ऐप्स पर अकाउंट बनाने के लिए किया गया। हालांकि, इन नंबरों के मालिकों ने दावा किया कि उन्होंने कोई अकाउंट नहीं बनाया और कई डिजिटल रूप से अशिक्षित हैं।

आईपी लॉग्स: ईसीआई ने कुछ आईपी लॉग्स दिए, लेकिन ये डायनामिक आईपी एड्रेस थे, जिनसे डिवाइस का स्थान पता लगाना मुश्किल है। डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट की जानकारी शामिल नहीं थी।

सीआईडी का आरोप

सीआईडी का कहना है कि चुनाव आयोग ने डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट की जानकारी नहीं दी, जो जांच को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है। सितंबर 2023 के बाद लिखे गए 18 पत्रों में बार-बार इसकी मांग की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

कांग्रेस का हमला 

कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। राहुल गांधी ने 18 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हमारे पास पुख्ता सबूत हैं कि आलंद में 6018 वोट हटाने की कोशिश की गई। अगर यह धोखाधड़ी पकड़ी न जाती तो कांग्रेस उम्मीदवार 2023 का चुनाव हार सकता था।' उन्होंने ईसीआई को एक सप्ताह का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर सीआईडी को जानकारी नहीं दी गई तो यह साबित होगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त लोकतंत्र विरोधी ताकतों का समर्थन कर रहे हैं।

आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से नाम हटाने का मामला न केवल कर्नाटक की राजनीति में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। कर्नाटक सीईओ के दावे और उनके ही 2025 के पत्रों के बीच का विरोधाभास यह सवाल उठाता है कि क्या जांच में जानबूझकर देरी की जा रही है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में पेश किया है, जबकि ईसीआई और सीईओ ने अपने दावों का बचाव किया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल उठाया कि अगर जानकारी पहले ही दी जा चुकी थी, तो कर्नाटक सीईओ द्वारा बार-बार पत्र क्यों लिखे गए। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या ईसीआई किसी विशेष पक्ष को बचाने की कोशिश कर रहा है।