सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने गुरुवार को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। दरअसल, सरकार ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई स्थगित करने की मांग की। सीजेआई गवई ने कहा कि सरकार का यह प्रयास उनकी बेंच से बचने का है, क्योंकि उनका रिटायरमेंट 24 नवंबर को होने वाला है।
यह मामला मद्रास बार एसोसिएशन सहित कई याचिकाओं से जुड़ा है, जो एक्ट के प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। सुनवाई सीजेआई गवई की अगुवाई वाली बेंच के समक्ष हो रही है, जिसमें जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस विपुल एम पांचोली भी शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट अरविंद दतर कर रहे हैं।

गुरुवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सरकार की ओर से मेंशनिंग के जरिए स्थगन की मांग की। इस पर सीजेआई गवई ने तल्ख लहजे में कहा, "हमने आपको पहले ही दो बार समायोजन दिया है। कितनी बार और? अगर आप 24 नवंबर के बाद सुनवाई चाहते हैं तो बताएं। कोर्ट के साथ यह बहुत अनुचित है। हर बार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए समायोजन मांगते हैं। आपके पास वकीलों की पूरी फौज है और फिर आधी रात को बड़े बेंच को रेफर करने की अर्जी दाखिल कर देते हैं!"

ताज़ा ख़बरें
उन्होंने आगे कहा, "हमने सोचा था कि कल (शुक्रवार) सुनवाई करेंगे और वीकेंड पर फैसला लिखेंगे।" सीजेआई ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि अगर अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरामण सोमवार को पेश नहीं होते, तो मामला बंद कर दिया जाएगा।

पिछली सुनवाई (3 नवंबर) में भी एजी वेंकटरामण ने बड़े बेंच को रेफर करने की प्रारंभिक आपत्ति उठाई थी, जिसे बेंच ने खारिज कर दिया। सीजेआई ने तब कहा था, "पिछली तारीख पर आपने ये आपत्तियां नहीं उठाईं... आपने निजी आधार पर स्थगन मांगा था। मेरिट्स पर पूरी सुनवाई के बाद अब ये आपत्तियां नहीं उठा सकते।" उन्होंने सरकार को "बेंच से बचने की चाल" का आरोप लगाते हुए कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र ऐसी चालाकी नहीं करेगा। यह एक पक्ष की पूरी सुनवाई के बाद और एजी को निजी आधार पर समायोजन देने के बाद हो रहा है।"
एजी वेंकटरामण ने आपत्ति जताते हुए कहा, "कृपया ऐसा न समझें। एक्ट पर विचार-विमर्श के बाद पारित हुआ था... हम सिर्फ कह रहे हैं कि इन मुद्दों के कारण एक्ट को सीधे रद्द न किया जाए। इसे स्थिर होने का समय दिया जाए।" लेकिन कोर्ट को मनाने में नाकाम रहने के बाद उन्होंने मेरिट्स पर आगे बढ़ने की सहमति दी।

जस्टिस विनोद चंद्रन ने भी सीजेआई का समर्थन करते हुए कहा कि प्रारंभिक आपत्ति पहले ही उठाई जानी चाहिए थी। बेंच ने स्पष्ट किया कि अगर आपत्ति खारिज हो जाती है, तो केंद्र पर बेंच से बचने का प्रयास करने का टिप्पणी दर्ज की जाएगी।

मामला शुक्रवार (7 नवंबर) को आगे सुनवाई के लिए निर्धारित है, जहां सीनियर एडवोकेट दतर अपनी दलीलें पूरी करेंगे। कोर्ट का इरादा जल्द फैसला सुनाने का है, ताकि सीजेआई गवई के रिटायरमेंट से पहले मुद्दा सुलझ जाए। यह घटना न्यायिक प्रक्रिया में देरी और बेंच चयन को लेकर उठ रहे विवादों को उजागर करती है।