संविधान संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। नेताओं का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र पर हमला है और भारत में 'सुपर इमरजेंसी' लागू करने जैसा है। जानें किस विपक्षी नेता ने क्या कहा।
संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष बोला- 'भारत में सुपर इमरजेंसी'
संविधान संशोधन विधेयक सहित तीन विधेयक पेश किए जाने पर फिर से मोदी सरकार पर लोकतंत्र पर हमला करने और 'सुपर इमरजेंसी' का आरोप लगा है। कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे 'पुलिस स्टेट' क़रार दिया तो कुछ ने कहा कि यह 'विपक्ष मुक्त लोकतंत्र' की कवायद है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक संविधान की मूल संरचना के ख़िलाफ़ है। राहुल गांधी ने कहा है कि मध्ययुगीन काल में वापसी है।
दरअसल, भारत की संसद में बुधवार को एक बार फिर से बड़ी राजनीतिक हलचल हुई जब
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। इस विधेयक के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 और केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 भी पेश किए गए। दावा किया गया है कि इन विधेयकों का मक़सद भ्रष्टाचार या गंभीर अपराधों के आरोपों का सामना कर रहे और 30 दिनों तक लगातार हिरासत में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को हटाने का कानून बनाना है। विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
राहुल: राजा किसी को भी हटा सकता था...
राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला किया और कहा कि यह फ़ैसला सैकड़ों साल पीछे ले जाने वाला है। राहुल ने कहा, 'भाजपा द्वारा प्रस्तावित नए विधेयक पर काफ़ी शोर-शराबा हो रहा है। हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी इच्छा से किसी को भी हटा सकता था, या अगर उसे किसी का चेहरा पसंद नहीं आता था, तो वह उसे ईडी से गिरफ़्तार करवा सकता था, और लोकतांत्रिक रूप से चुने गए किसी व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर पद से हटाया जा सकता था।'
महुआ मोइत्रा: 'देश में सुपर इमरजेंसी'
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे 'सुपर इमरजेंसी' बताया और कहा कि यह विधेयक केंद्र सरकार को ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने की शक्ति देता है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'विपक्ष की भविष्यवाणियां सच हो रही हैं। केवल 240 सांसदों के साथ बीजेपी संविधान में बदलाव कर रही है। यह विधेयक संघीय ढांचे और न्यायपालिका को दरकिनार करता है। केंद्र सरकार फर्जी आरोपों में विपक्षी मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार कर बिना दोष सिद्ध हुए उन्हें हटा सकती है। ... देश में सुपर इमरजेंसी है।'
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'देश ने देखा कि अमित शाह अपनी सीट पर बैठकर असंवैधानिक संशोधन लाने की हिम्मत कैसे नहीं जुटा पाए। 20 अतिरिक्त मार्शलों की सुरक्षा में होने के बावजूद, वे कायरतापूर्वक चौथी पंक्ति में बैठे रहे - जो डर गया, समझो गया, मर गया!'
मनीष तिवारी: संविधान के ख़िलाफ़
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है, 'मूल बात यह है कि ये तीनों विधेयक भारत के संविधान के मूल ढाँचे के ख़िलाफ़ हैं। भारत का संविधान, क़ानून का नियम कहता है कि जब तक आप दोषी साबित न हो जाएँ, तब तक आप निर्दोष हैं... यह संविधान के मूल ढाँचे के लिए विनाशकारी है, क्योंकि इसमें राज्य के साधनों के दुरुपयोग की बहुत अधिक संभावना है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।'
ओवैसी : पुलिस स्टेट की ओर क़दम
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक को असंवैधानिक और लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। उन्होंने संसद में कहा, 'मैं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 के पेश किए जाने का विरोध करता हूं। यह शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और जनता के सरकार चुनने के अधिकार को कमजोर करता है।'
उन्होंने कहा, 'यह कार्यकारी एजेंसियों को तुच्छ आरोपों और संदेह के आधार पर न्यायाधीश और जल्लाद बनने की खुली छूट देता है... यह सरकार पुलिस राज्य बनाने पर तुली हुई है। यह निर्वाचित सरकार के लिए मौत की कील होगी। इस देश को पुलिस राज्य में बदलने के लिए भारत के संविधान में संशोधन किया जा रहा है।'
मनोज झा: सरकार अस्थिर करने का हथियार
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने इस विधेयक को बीजेपी की चाल करार दिया। उन्होंने कहा कि जहां बीजेपी चुनाव नहीं जीत सकती, वहां यह विधेयक सरकारों को अस्थिर करने का हथियार बनेगा। उन्होंने एएनआई से बात करते हुए कहा, 'आरोपी और दोषी के बीच का अंतर धुंधला कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को राजनीतिक खेल का हिस्सा बनने की टिप्पणी की थी। अब इस विधेयक के जरिए बीजेपी फर्जी पीएमएलए मामले लगाकर किसी को भी जेल में डाल सकती है।'
सागरिका घोष: निरंकुशता का मॉडल
टीएमसी नेता सागरिका घोष ने कहा है कि यह निरंकुशता के मॉडल को लाने की तैयारी है। उन्होंने कहा, 'जब आप सोच रहे थे कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी संविधान को और नुकसान नहीं पहुँचा सकती, तो उन्होंने वही किया। मॉनसून सत्र के खत्म होने से ठीक दो दिन पहले मोदी सरकार एक संवैधानिक संशोधन लेकर आई है, जिससे केंद्र को बिना किसी आरोपपत्र या दोषसिद्धि के भी किसी भी मुख्यमंत्री को हटाने का व्यापक अधिकार मिल जाएगा। इससे विपक्षी मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाने के लिए प्रवर्तन एजेंसियों के और अधिक दुरुपयोग का रास्ता खुल जाएगा, जैसा कि पिछले एक दशक में मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। यह प्रक्रिया का चौंकाने वाला और घोर उल्लंघन है जो मोदी-शाह की जोड़ी की चुनावी निरंकुशता के मॉडल को एक बार फिर उजागर करता है।'
संसद में हंगामा और स्थगन
विधेयक पेश होने के दौरान लोकसभा में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी की और विधेयक की प्रतियां फाड़कर विरोध जताया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने हंगामे के कारण सदन को दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के व्यवहार की निंदा करते हुए कहा, "जनता हमें काम करने के लिए भेजती है, न कि हंगामा करने के लिए। लोकतंत्र का अपमान करने वालों को जनता माफ नहीं करेगी।'
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक ने भारतीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्ष इसे 'सुपर इमरजेंसी' की शुरुआत मान रहा है, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जरूरी कदम बता रही है। संसद में इस मुद्दे पर चर्चा और विरोध जारी है, और यह देखना बाकी है कि यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित होगा या नहीं।