यदि कोरोना संक्रमण इसी रफ़्तार से बढ़ता रहता तो अप्रैल के अंत तक इससे प्रभावित लोगों की तादाद 1 लाख हो गई होती।
अप्रैल के अंत में जिस समय लॉकडाउन नहीं लगने की स्थिति में कोरोना प्रभावितों की तादाद एक लाख हो सकती थी, उस समय दरअसल यह संख्या 35 हज़ार पर ही थी।