द्रौपदी मुर्मू देश की नयी राष्ट्रपति बन गई हैं। राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को शिकस्त दी है। 64 साल की द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के साथ द्रौपदी मुर्मू को बधाई देने गए। मिठाइयों और रंगा-रंग आदिवासी नृत्यों के साथ पूरे देश में जश्न मनाया गया।

64.03 प्रतिशत वोट मिले

राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मिलाकर कुल 4809 मतदाता थे। लेकिन कुल 4,754 वोट पड़े जिनमें से 4,701 वोट वैध पाए गए। द्रौपदी मुर्मू को तीन राउंड की मतगणना के बाद कुल 64.03 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए जबकि यशवंत सिन्हा को 35.97 प्रतिशत वोट मिले। मुर्मू को 2,824 वोट मिले जिनकी वोट वैल्यू 4,83,299 थी जबकि सिन्हा को 1,877 वोट मिले जिनकी वोट वैल्यू 1,89,876 रही। 
विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने एक बयान में कहा, 'मैं श्रीमति द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव 2022 में उनकी जीत पर दिल से बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है- वास्तव में, हर भारतीय को उम्मीद है - कि भारत की 15 वें राष्ट्रपति के रूप में वह बिना किसी डर या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी।' इसके साथ ही उन्होंने मुर्मू को जीत की बधाई भी दी। 
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जाने-माने सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने उन्हें इस तरह बधाई दी। 
15वें राष्ट्रपति के चुनाव के प्रचार के दौरान ही ऐसा साफ़ दिखाई दे रहा था कि मुर्मू बड़े अंतर से जीत हासिल करेंगी। क्योंकि एनडीए गठबंधन के अलावा भी तमाम विपक्षी दल उनके समर्थन में आगे आ गए थे। इन दलों में बीएसपी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा आदि शामिल थे। 

जबकि कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ कांग्रेस, एनसीपी, टीआरएस, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, सपा, एआईएमआईएम, नेशनल कॉन्फ्रेन्स आदि का समर्थन था। 

ओडिशा में जश्न मनाते लोग।

चुनाव प्रचार के दौरान यह साफ दिखाई दिया कि एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाने के बाद विपक्षी एकता ढह गई। 

2017 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था। तब रामनाथ कोविंद को 65.65 और मीरा कुमार को 34.35 फीसदी वोट मिले थे।

आइए, जानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू कौन हैं और उनका शुरुआती व राजनीतिक जीवन कैसा रहा है। 

द्रौपदी मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमा देवी महिला कॉलेज से बी.ए. किया है। द्रौपदी मुर्मू ने 1979 से 1983 तक ओडिशा सरकार के सिंचाई और ऊर्जा महकमे में जूनियर असिस्टेंट के रूप में काम किया। 1994 से 1997 तक रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बतौर शिक्षक भी उन्होंने काम किया है। 

द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में रायरंगपुर में काउंसलर का चुनाव जीतकर की और वह वाइस चेयरपर्सन भी बनीं। वह 1997 में बीजेपी की एसटी मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष बनीं। 

साल 2000 से 2004 तक वह रायरंगपुर सीट से विधायक रहीं और उस दौरान बीजेडी-बीजेपी की सरकार में परिवहन और वाणिज्य मामलों सहित कई मंत्रालयों की स्वतंत्र प्रभार की मंत्री भी रहीं।
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साल 2002 से 2009 तक द्रौपदी मुर्मू बीजेपी के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं। 2004 से 2009 तक भी वह रायरंगपुर सीट से विधायक रहीं। 2006 से 2009 तक वह ओडिशा बीजेपी एसटी मोर्चा की अध्यक्ष रहीं।

2010 में वह ओडिशा के मयूरभंज पश्चिम जिले में बीजेपी की अध्यक्ष बनीं और 2013 में इस पद पर फिर से चुनी गईं और अप्रैल 2015 तक रहीं। साल 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। जहां वह इस पद पर मई, 2020 तक रहीं। 
द्रौपदी मुर्मू को लो-प्रोफाइल और मृदुभाषी राजनेता माना जाता है। वह आध्यात्मिक भी हैं और ब्रह्म कुमारी की ध्यान तकनीकों का अभ्यास करती हैं। 2009-2015 के बीच केवल छह सालों में अपने पति, दो बेटों, मां और भाई को खोने के बाद उन्होंने आध्यात्म के लिए ब्रह्म कुमारी की ध्यान तकनीकों को अपनाया था।