चुनाव आयोग (ईसीआई) ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया है कि दिल्ली के सात जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) से संबंधित 2024 लोकसभा चुनाव की सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर दी गई है।
जस्टिस मिनी पुष्करणा ने चुनाव आयोग के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया। अदालत वकील महमूद प्राचा द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान देश भर के मतदान केंद्रों के अंदर की फुटेज मांगी गई थी।

राहुल गांधी का कड़ा बयान

कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इसे धांधली बताते हुए वोट चोरी से जोड़ा है। राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा है- BJP के लाखों लोग खुलेआम अलग-अलग राज्यों में घूम-घूमकर वोट डालते हैं। और इस चोरी को छुपाने के लिए सारे सबूत मिटा दिए जाते हैं। BJP और EC मिलकर खुलेआम vote चोरी कर रहे हैं। लोकतंत्र की हत्या लाइव चल रही है।
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क्या है मामला और चुनाव आयोग का बयान

वकील महमूद  प्राचा ने अपनी याचिका में चुनाव निकाय को देश भर के डीईओ को चुनाव प्रक्रिया के सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की थी। यह भी कहा था कि जब तक मामला अदालत में लंबित है, तब तक फुटेज को नष्ट न किया जाए। 

हालांकि, आयोग ने अदालत को बताया कि "आज की तारीख में, याचिकाकर्ता द्वारा मांगा गया डेटा, यानी 2024 के लोकसभा चुनावों से संबंधित वीडियो/सीसीटीवी फुटेज, अब दिल्ली में डीईओ की कस्टडी में नहीं है और पहले ही नष्ट किया जा चुका है।"


यह घटनाक्रम तब हुआ था जब ईसीआई ने जून में ऐसा निर्देश दिया था। ईसीआई ने राज्य चुनाव अधिकारियों को 45 दिनों के बाद चुनाव प्रक्रिया की सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज को नष्ट करने का निर्देश दिया गया था, बशर्ते कि उस अवधि के भीतर फैसले को अदालतों में चुनौती न दी गई हो। ईसीआई ने कहा था कि यह कदम इलेक्ट्रॉनिक डेटा का इस्तेमाल करके "दुर्भावनापूर्ण नैरेटिव" को रोकने के लिए उठाया गया था।

दरअसल, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कांग्रेस की एक याचिका के जवाब में चुनाव आयोग को वोटिंग के दिन की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने को कहा था। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने सीसीटीवी फुटेज देने का नियम बदल दिया और राज्यों के चुनाव अधिकारियों से कहा कि वे 45 दिनों बाद सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज नष्ट कर दें। बाद में जब राहुल गांधी ने यह सवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाया तो मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि हम अपनी मां-बेटियों-बहनों की वीडियो फुटेज कैसे दे सकते हैं। सोशल मीडिया पर ज्ञानेश कुमार के इस बयान का काफी मज़ाक बना था।

अगस्त में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीसीटीवी फुटेज साझा न करने के लिए मतदाता की गोपनीयता का हवाला दिया था। उन्होंने सवाल किया था कि क्या "माताओं, बेटियों, बहुओं" की फुटेज सार्वजनिक की जानी चाहिए।

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याचिकाकर्ता का आरोप और अदालत का फैसला 

अदालत में प्राचा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के नए निर्देश सिर्फ उनकी याचिका को नाकाम करने और सबूत नष्ट करने के लिए जारी किए गए हैं। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने कहा कि प्राचा ने नए निर्देशों को चुनौती नहीं दी थी। अदालत ने कहा, "इसके मद्देनज़र, वर्तमान आवेदन में इस कोर्ट द्वारा फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।" इसके बाद, अदालत ने इस आवेदन का निपटारा कर दिया।