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भारत को बेहद असमान देश बताने वाली रिपोर्ट त्रुटिपूर्ण: वित्त मंत्री

भारत को 'गरीब और बेहद असमान' देश बताने वाली वैश्विक असमानता पर अंतरराष्ट्रीय संगठन की एक रिपोर्ट को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खारिज कर दिया है। वह संसद में बोल रही थीं। उन्होंने एक बयान में उस रिपोर्ट को तैयार करने के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि वह कार्यप्रणाली 'त्रुटिपूर्ण और संदिग्ध' है।

विश्व असमानता की रिपोर्ट के अनुसार भारत एक 'गरीब और बेहद असमान' देश है। उस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का पांचवाँ हिस्सा था। 

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यह असमानता इतनी ज़्यादा है कि संपन्न 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत है। दूसरी ओर, सबसे नीचे की 50 प्रतिशत यानी कुल आबादी के आधे लोगों के पास सिर्फ़ 13 प्रतिशत आमदनी है।

विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि कम आमदनी वाले देशों की आमदनी पहले से और कम हुई है, यह दक्षिण व दक्षिण-पूर्व के देशों में, खास कर भारत में पाया गया है। वर्ल्ड इनइक्वेलिटी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है। आधी आबादी की आय 53,610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना यानी 11,66,520 रुपये ज़्यादा है।

यह विश्व असमानता लैब के सह-निदेशक लुकास चांसल द्वारा लिखा गया था और फ्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी समेत कई विशेषज्ञों द्वारा समन्वयित किया गया था। यह भी कहा गया था कि महामारी ने बहुत अमीर और बाकी आबादी के बीच असमानताओं को बढ़ा दिया है।

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बहरहाल, संसद में द्रमुक के टीआर बालू द्वारा ऋण चूकने वालों और एनपीए के खिलाफ सरकार की कार्रवाई के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि ऋण को राइट ऑफ करने का मतलब पूर्ण माफी नहीं है और बैंक बकाया राशि की वसूली के लिए हर ऋण के पीछे पड़े हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार सीतारमण ने पूर्व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को उन लोगों से पैसे की वसूली नहीं करने के लिए दोषी ठहराया, जिन्होंने अपने ऋण खातों को एनपीए में बदल दिया।
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क़मर वहीद नक़वी
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