संसद परिसर में मंगलवार को विपक्ष का प्रदर्शन
केंद्र सरकार की कमी की वजह से बीमा क्षेत्र में असंतुलन भी बना हुआ है। भारत में 75 पीसदी बीमा पॉलिसियाँ जीवन बीमा खंड में हैं, जबकि सिर्फ 25 पीसदी मेडिकल बीमा पॉलिसियाँ हैं।” इसका अर्थ यह है कि सारी कंपनिया सिर्फ जीवन बीमा में दिलचस्पी ले रही हैं, उसके मुकाबले मेडिकल बीमा यानी मेडीक्लेम वाली पॉलिसी में कंपनियों की दिलचस्पी नहीं है। सरकार इसके लिए कुछ कदम भी नहीं उठा रही है। प्राइवेट कंपनियां इन पॉलिसियों पर लागत की आड़ लेकर बच जाती हैं। सरकार अपनी लाइसेंस नीति में भी बदलाव नहीं कर रही है कि जो कंपनी जीवन बीमा पॉलिसी लाएगी, उसे मेडिकल बीमा पॉलिसी भी लाना होगी।
गडकरी ने अपने पत्र में कहा है कि वह नागपुर डिविजनल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ के एक ज्ञापन के बाद वित्त मंत्री को पत्र लिख रहे हैं। गडकरी ने लिखा है कि "कर्मचारी संघ द्वारा उठाया गया मुख्य मुद्दा जीवन और मेडिकल बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को वापस लेने से संबंधित है। जीवन बीमा और मेडिकल बीमा प्रीमियम दोनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगती है। जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जिन्दगी की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने की तरह है।“