यह बहुत चौंकाने वाला और बेहद सनसनीख़ेज़ ख़ुलासा है कि तेलंगाना और आँध्र में 55 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कट गये थे। यह बात 2015 की है और अब एक आरटीआई के जवाब में चुनाव आयोग ने मान भी लिया है कि इतने बड़े पैमाने पर वोटरों के नाम कट गये थे। इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे हो गयी? चुनाव आयोग ने आधा करोड़ से ज़्यादा लोगों को कैसे उनके मताधिकार से वंचित कर दिया? इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है? क्या इसके लिए किसी को सज़ा मिलेगी? शायद नहीं।