शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने "आई लव मुहम्मद-महादेव" विवाद को जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने की सोची-समझी साजिश करार दिया है। उन्होंने महादेव के प्रति इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने को अपमानजनक बताते हुए सख्त नाराजगी जाहिर की।
बिहार के बेतिया में एएनआई से बातचीत के दौरान शंकराचार्य ने कहा- "...'आई लव मोहम्मद, आई लव महादेव' विवाद को शुरू करके लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश की जा रही है। महादेव पूजा के विषय हैं या प्रेम के? यह महादेव का अपमान है। मोहम्मद के बारे में मुझे नहीं पता। जो मोहम्मद के साथ हैं, वे जानते होंगे। लेकिन 'आई लव महादेव' कहना महादेव के लिए सम्मान है या अपमान? यह महादेव के प्रति असम्मान है, अपमान है। हम महादेव के साथ ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करते...'।" बता दें कि मुस्लिमों ने जब आई लव मुहम्मद कैंपेन शुरू किया तो जवाब में कुछ कट्टरपंछी हिन्दू संगठनों ने आई लव महादेव अभियान शुरू किया। शंकराचार्य की आपत्ति यही है कि महादेव को तो पूजा जाता है। आई लव महादेव के मामले में बोलना ठीक नहीं है। बाकी आई लव मुहम्मद के बारे में मुस्लिम बेहतर जानते हैं कि वो सही है या गलत। 
यह बयान उत्तर प्रदेश के बरेली में व्याप्त तनावपूर्ण स्थिति के बीच आया है, जहां 26 सितंबर को "आई लव मोहम्मद" पोस्टरों को लेकर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। इसके बाद वहां तनाव बना हुआ है। गिरफ्तारियों के बाद वहां तनाव बढ़ गया है। बरेली प्रशासन ने 2 अक्टूबर दोपहर 3 बजे से 4 अक्टूबर दोपहर 3 बजे तक 48 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाएं निलंबित कर रखी हैं।
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समाजवादी पार्टी के लोगों को रोका 

यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता और सपा विधायक माता प्रसाद पांडे ने शनिवार को कहा कि पुलिस ने उन्हें और समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल को बरेली जाने से रोक दिया। पांडे के आवास के बाहर स्थानीय पुलिसकर्मी तैनात हैं। माता प्रसाद पांडे के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार 4 अक्टूबर को बरेली जाने वाला था। पांडे ने कहा कि पुलिस ने उन्हें एक नोटिस दिया है जिसमें उन्हें घर पर ही रहने और बरेली न जाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि "मेरे नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल वहाँ (बरेली) जा रहा था। मुझे पुलिस ने एक नोटिस दिया था, और इंस्पेक्टर ने मुझसे कहा था कि मुझे घर पर ही रहना है और बाहर नहीं जाना है। अगर कलेक्टर ने लिखा होता, तो मैं उसे स्वीकार कर लेता। फिर, बरेली के डीएम का एक पत्र आया। उन्होंने यह भी कहा कि आपके आने से यहाँ का माहौल खराब होगा, इसलिए आपको यहाँ नहीं आना चाहिए। अपनी कमियों को छिपाने के लिए, वे हमें वहाँ नहीं जाने दे रहे हैं। अब हम अपनी पार्टी के सदस्यों से बात करेंगे और उसके अनुसार निर्णय लेंगे।" 
आला हजरत दरगाह के बाहर और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान के घर के बाहर सैकड़ों लोग "आई लव मोहम्मद" के प्लेकार्ड लेकर जमा हो गए थे। जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन के दौरान पथराव की घटना घटी। पुलिस का आरोप है कि पथराव प्रदर्शनकारियों की तरफ से हुआ। हालांकि बरेली के मुस्लिम संगठनों ने वीडियो जारी करके कहा कि दूसरे समुदाय के घरों की छतों से उन पर पथराव किया गया। पुलिस ने मौलाना को गिरफ्तार कर लिया था। प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय की दुकानों को बुलडोज़र चलाकर गिरा दिया है या सील कर दिया है। 
26 सितंबर के प्रदर्शनों से जुड़े मामले में आईएमसी के राष्ट्रीय महासचिव नफीस खान और उनके बेटे फरमान खान को गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे कुल गिरफ्तारियों की संख्या 81 हो गई है। पुलिस के अनुसार, फरमान आईएमसी का फेसबुक पेज संभालता था। एसएसपी बरेली अनुराग आर्य ने दावा किया है कि नफीस और उनके बेटे ने पूछताछ में खुलासा किया कि "सभी लोग साजिश में शामिल थे।"
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया था कि बरेली का मौलाना भूल गया था कि शासन किसका है। ...योगी ने कहा था- ऐसा इलाज किया जाएगा कि दंगाइयों की कई पीढ़ियां याद रखेंगी। ऐसे लोगों की डेंटिंग-पेंटिग जरूरी है। मुख्यमंत्री के इस विवादित बयान के बाद ही बरेली में पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज की। योगी का बयान पूरी दुनिया में वायरल है और तमाम मानवाधिकार संगठन, पत्रकार, लेखक, रंगकर्मी इसकी निन्दा कर रहे हैं।
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आई लव विवाद कानपुर से बारावफात के मौके पर शुरू हुआ था। वहां मुस्लिम संगठन ने आई लव मुहम्मद का बैनर लगाया। इस पर हिन्दू संगठनों ने पुलिस में शिकायत दी कि यह नई शुरुआत है। इसे रोका जाए। इसके बाद उस बैनर को फाड़ दिया गया। कानपुर पुलिस से इसकी शिकायत की गई। पुलिस ने कहा कि ऐसी नई शुरुआत नहीं की जा सकती। इसके बाद मुस्लिम युवकों पर हिन्दू संगठन के पोस्टर फाड़ने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने उन युवकों की गिरफ्तारी की, उनका वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया, जिसमें मुस्लिम युवकों को ठीक से चलता-फिरता नहीं दिखाया गया था। इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर आक्रोश भड़क उठा। लोगों ने लिखना शुरू कर दिया कि आई लव मुहम्मद कहना, लिखना, बोलना कोई अपराध नहीं। पूरे देश में सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गए। विदेशों में भी प्रतिक्रिया हुई। उसी कड़ी में 26 सितंबर को बरेली में भी प्रदर्शन आयोजित किया गया था।