भारत और चीन की बातचीत अभी तक पॉजिटिव रही है और कारोबारी समझ जबरदस्त ढंग से बढ़ी है। भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को आश्वासन दिया कि चीन बहुत जरूरी फर्टिलाइज़र (खाद), रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ खनिज) और टनल बोरिंग मशीन (TBM) की सप्लाई फिर से शुरू करेगा। यह कदम दोनों देशों के संबंधों को सामान्य स्थिति की ओर ले जाने का संकेत माना जा रहा है।
समझा जाता है कि जयशंकर ने पिछले महीने अपनी चीन यात्रा के दौरान चीनी विदेश मंत्री के साथ यूरिया, DAP खाद, रेयर अर्थ मिनरल्स और TBM की सप्लाई का मुद्दा उठाया था। हालांकि, सीमा वार्ता और सीमा संबंधी मुद्दों पर जयशंकर ने चर्चा नहीं की, क्योंकि इन पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मंगलवार को चीनी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने वाले हैं। वांग यी मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाक़ात करेंगे।
जयशंकर ने अपने चीनी विदेश मंत्री से कहा कि भारत का ताइवान पर रुख़ अपरिवर्तित है। जिस तरह विश्व के अन्य देश आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के लिए राजनयिक उपस्थिति रखते हैं, उसी प्रकार भारत भी ऐसा ही करता है। यह घटनाक्रम भी कम महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि ताइवान से चीन के रिश्ते बेहतर नहीं हैं। लेकिन अब भारत इस मामले में चीन का समर्थन करता नज़र आ रहा है।
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चीन के सामान का बहिष्कार क्या अब होगा

तथ्य यह है कि चीन का फर्टिलाइज़र, TBM और रेयर मिनरल्स की सप्लाई फिर से शुरू करना एक बड़ा घटनाक्रम है, क्योंकि बीजिंग ने लगभग एक वर्ष से भारत के आयात पर रोक लगा रखी थी। चीन भारत को कृषि के लिए लगभग 30 फीसदी फर्टिलाइज़र, ऑटो पार्ट्स के लिए रेयर अर्थ्स मिनरल्स और सड़क तथा शहरी विकास के लिए TBM उपलब्ध कराता रहा है। अब इन चीजों की भारत में फिर से आमद हो जाएगी। भारत में चीन के सामानों के बहिष्कार को लेकर आरएसएस-बीजेपी से जुड़े संगठन आंदोलन चलाते रहे हैं। खुद पीएम मोदी ने चीनी सामानों को लेकर टिप्पणियां की हैं। लेकिन अब दोनों देशों के बीच कारोबार को लेकर रुख फिर से बदल रहा है।

एक्सपोर्ट में भी ढील मिलेगी

चीन एक्सपोर्ट में भी ढील देने पर राज़ी होता दिख रहा है। पिछली बैठक में जयशंकर ने कहा था कि दोनों देशों को आर्थिक सहयोग में “प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और रुकावटों” से बचना चाहिए। उनका इशारा चीन की उन निर्यात पाबंदियों की ओर था जो रेयर अर्थ मिनरल्स पर लगाई गई थीं। मिनरल्स स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक हर जगह इस्तेमाल होते हैं और जिन पर बीजिंग का लगभग एकाधिकार है। फर्टिलाइज़र एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध भी भारत की खेती पर असर डालते हैं, जबकि रेयर अर्थ्स पर प्रतिबंधों ने भारत के ईवी (Electric Vehicle) निर्माताओं को सीधे प्रभावित किया है। लेकिन एक्सपोर्ट में ढील का असर चौतरफा पड़ने जा रहा है।

डोभाल से भी वांग की महत्वपूर्ण मुलाकात 

जयशंकर-वांग बैठक में सीमा वार्ता पर कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन यह बातचीत एनएसए अजीत डोभाल से मंगलवार को होने वाली है। इस बातचीत का मुख्य मकसद 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सेनाओं की संख्या कम करना है। हालाँकि लद्दाख में सीमा पर तनाव और गश्त के मुद्दे सुलझ गए हैं, फिर भी भारतीय और चीनी सेनाएँ अभी भी सीमा पर तैनात हैं, इसलिए सैनिकों को वापस बैरकों में भेजने की जरूरत है। यह मुद्दा मंगलवार को उठेगा।