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यूएन: सुविधा के हिसाब से आतंकवाद पर प्रतिक्रिया नहीं हो सकती: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद और उग्रवाद का ज़िक्र कर संकेतों में ही कनाडा मामले में तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि राजनीतिक सुविधा के हिसाब से आतंकवाद या उग्रवाद के प्रति किसी देश की प्रतिक्रिया नहीं हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का आह्वान किया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में एस जयशंकर की यह टिप्पणी कनाडा के साथ बड़े पैमाने पर राजनयिक विवाद के बीच आई है। इसमें कनाडा ने दावा किया है कि जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में दिल्ली के एजेंट शामिल थे। हालाँकि, भारत सरकार ने इस आरोप को बेतुका और मोटिवेटेड बताकर खारिज कर दिया है। इसके साथ ही इसने ओटावा पर कनाडा में खालिस्तान अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है।

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अब रिपोर्टें आ रही हैं कि अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने जी20 की बैठक के दौरान इस मुद्दे को भारत के प्रधानमंत्री मोदी के सामने उठाया है। प्रतिष्ठित अख़बार फाइनेंशियल टाइम्स ने रिपोर्ट दी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य पश्चिमी नेताओं ने कनाडा के दावों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चिंता व्यक्त की थी। रिपोर्ट है कि उन नेताओं ने कहा था कि नई दिल्ली से जुड़े एजेंट वैंकूवर में सिख अलगाववादी की हत्या में शामिल थे।

ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका उस क्वाड संगठन के सदस्य हैं जिसमें इन दो देशों के अलावा भारत और जापान भी सदस्य देश हैं। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका उस फाइव आईज खुफिया गठबंधन का हिस्सा भी हैं जिसमें इन दोनों देशों के अलावा कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और न्यूजीलैंड भी हैं।

एफटी की रिपोर्ट के अनुसार, फाइव आईज के कई सदस्यों- अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने मोदी के साथ हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला उठाया था।
निज्जर की हत्या से जुड़े इस घटनाक्रम पर जी20 बैठक के दौरान भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था। बाइडेन और मोदी के बीच बैठक के बाद भी जारी बयान में ऐसी किसी बातचीत का ज़िक्र नहीं किया गया।

'वे दिन लद गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे'

जी20 समूह में अफ्रीकी संघ के हालिया शामिल होने का हवाला देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को और अधिक समसामयिक बनाने पर विचार करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि भारत का 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' का दृष्टिकोण कई लोगों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करेगा, न कि कुछ लोगों के संकीर्ण हितों पर। उन्होंने कहा, 'वे दिन ख़त्म हो गए हैं जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उम्मीद करते थे कि वे भी उनके साथ आएँगे।'

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जयशंकर ने कहा कि विश्व उथल-पुथल का एक असाधारण दौर देख रहा है। उन्होंने कहा, 'कई जगहों पर जारी संघर्षों और कोविड-19 ने दुनिया को पीछे धकेल दिया है। एक पृथ्वी के बारे में हमारा दृष्टिकोण केवल कुछ लोगों के संकीर्ण हितों पर नहीं बल्कि कई लोगों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का था। कुछ देशों द्वारा एजेंडा तय करने और दूसरों से उसके अनुरूप चलने की उम्मीद करने के दिन अब लद गए हैं।'

उन्होंने कहा कि पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण इतना ज़्यादा है कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन इसकी पुष्टि करता है कि कूटनीति और बातचीत एक प्रभावी समाधान है।

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विदेश मंत्री ने कहा, 'विकास को पहचानते हुए सबसे कमजोर लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमने वैश्विक दक्षिण पर ध्यान केंद्रित करके इसकी शुरुआत की। अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया। इस कदम से संयुक्त राष्ट्र को संदेश मिलना चाहिए कि सुरक्षा परिषद को और अधिक समसामयिक बनाया जाना चाहिए।'
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क़मर वहीद नक़वी
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