मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार स्वागत ने दोनों देशों के बीच नई गर्मजोशी ला दी है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत को अहम साझेदार बताते हुए रिश्तों को मज़बूत करने की बात कही है, जबकि पीएम मोदी ने आर्थिक और रक्षा सहयोग का भरोसा दिलाया। हाल में मुइज्जू के चीन के प्रति दिखे झुकाव और भारत के साथ तनाव के बाद पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच एक नई शुरुआत का संकेत है!

प्रधानमंत्री मोदी 25 जुलाई को माले पहुंचे, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री सहित शीर्ष मंत्रियों ने वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की। माले में रिपब्लिक स्क्वायर पर उन्हें औपचारिक स्वागत और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह दौरा इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का पहला दौरा है।
यह दौरा भारत और मालदीव के बीच 60 साल के राजनयिक संबंधों के उत्सव के साथ मेल खाता है। मालदीव में मुइज्जू के 2023 में 'इंडिया आउट' अभियान के साथ सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव देखा गया था। मुइज्जू ने शपथ लेने के कुछ घंटों बाद ही भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग की थी, जिसके कारण संबंधों में खटास आई। हालाँकि, भारत की निरंतर कूटनीतिक कोशिशों और आर्थिक सहायता ने संबंधों को फिर से पटरी पर लाने में मदद की।

मोदी-मुइज्जू वार्ता

माले में पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच व्यापक वार्ता हुई, जिसमें व्यापार, रक्षा, समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढाँचे और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने पर जोर दिया गया। दोनों नेताओं ने भारत-मालदीव संयुक्त दृष्टिकोण पत्र की प्रगति की समीक्षा की, जिस पर मुइज्जू के अक्टूबर 2024 में नई दिल्ली दौरे के दौरान सहमति बनी थी। मोदी ने कहा,

भारत और मालदीव की मित्रता इतिहास से भी पुरानी और समुद्र जितनी गहरी है।
नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री
पीएम ने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा मालदीव का सबसे भरोसेमंद मित्र बना रहेगा, जो संकट के समय सहायता देने वाला पहला देश रहा रहा है। उन्होंने मालदीव की रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए भारत के समर्थन को भी दोहराया।

आर्थिक सहायता और समझौते

इस दौरे के दौरान भारत ने मालदीव को 4,850 करोड़ रुपये यानी 565 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा देने करने की घोषणा की। यह राशि बुनियादी ढांचे के विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, बंदरगाहों और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में उपयोग की जाएगी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि इस समझौते से मालदीव की भारत के प्रति वार्षिक ऋण चुकौती 40% तक कम हो जाएगी।
दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते यानी एफ़टीए पर औपचारिक रूप से बातचीत शुरू की और एक द्विपक्षीय निवेश संधि को अंतिम रूप देने पर सहमति जताई। मोदी ने कहा, 'हमारा लक्ष्य अब कागजी कार्रवाई से समृद्धि की ओर बढ़ना है।' इसके अलावा, रुपये और रूफिया के बीच स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी, जिससे व्यापार को गति मिलेगी।
भारत ने मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल को 72 वाहन और अन्य उपकरण सौंपे और माले में भारत द्वारा फंडेड नए रक्षा मंत्रालय भवन का उद्घाटन किया। इसके साथ ही हुलहुमाले में 3,300 सामाजिक आवास इकाइयों, अदू शहर में सड़क और जल निकासी प्रणाली, और छह सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया।

पर्यटन और सांस्कृतिक संबंध

मुइज्जू ने भारत को मालदीव के पर्यटन क्षेत्र का प्रमुख साझेदार बताया। उन्होंने कहा, 'भारत उन प्रमुख देशों में से एक है जो हमारे पर्यटन को समर्थन देता है। पीएम मोदी के दौरे से इसमें और वृद्धि होगी, और दोनों देशों के बीच लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा।'

दोनों नेताओं ने भारत के यूपीआई को मालदीव में लागू करने पर भी जोर दिया, जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को लाभ होगा। मुइज्जू ने कहा कि वह जल्द ही यूपीआई के कार्यान्वयन को देखने के लिए उत्साहित हैं। 

भारत और मालदीव ने 60 साल के राजनयिक संबंधों के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया, जिसमें दोनों देशों की पारंपरिक नौकाओं को दर्शाया गया।

मुइज्जू का बदला रुख

मुइज्जू को पहले चीन समर्थक माना जाता था। लेकिन उन्होंने अब भारत के प्रति अपनी नीति में बदलाव का संकेत दिया। उन्होंने कहा, 'हम सभी ने देखा है कि भारत ने अतीत में मालदीव की कितनी मदद की है, और कोई भी इस बात पर संदेह नहीं करेगा कि भारत भविष्य में भी एक महत्वपूर्ण साझेदार रहेगा।'

पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत की आर्थिक सहायता की सराहना करते हुए कहा कि भारत की समय पर मदद ने मालदीव को आर्थिक संकट से बचाया। उन्होंने कहा, 'अगर भारत की मदद नहीं होती, तो हम डिफॉल्ट कर जाते।'

मालदीव भारत की 'पड़ोस पहले' नीति और MAHASAGAR (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) दृष्टिकोण का एक अहम हिस्सा है। यह दौरा हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बीच भारत की समुद्री कूटनीति को मजबूत करने का संकेत देता है। विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि भारत मालदीव के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए काम करना जारी रखेगा।
मोदी ने मालदीव की जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता की सराहना की और कहा कि भारत मालदीव को COP 33 की मेजबानी में पूरा समर्थन देगा। मुइज्जू ने भी भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता की सराहना की।

मुइज्जू आएँगे भारत दौरे पर! 

पीएम मोदी के इस दौरे ने भारत-मालदीव संबंधों में एक नया अध्याय शुरू किया है। मुइज्जू ने भारत की यात्रा की इच्छा जताई और कहा, 'मैं इस साल या निकट भविष्य में भारत आने की उम्मीद करता हूँ।' जानकारों का मानना है कि यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करेगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को भी मज़बूत करेगा। मालदीव की आर्थिक चुनौतियों और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता इस साझेदारी को और गहरा करेगी।