अयोध्या के राम मंदिर पर ध्वजारोहण का यह ऐतिहासिक पल पाकिस्तान को इतना खल गया कि उसने बयान जारी कर दिया। पढ़िए, कैसे भारत ने उसकी बोलती बंद कर दी।
पीएम मोदी ने राम मंदिर पर ध्वजारोहण किया।
अयोध्या में राम मंदिर पर पीएम मोदी द्वारा ध्वजारोहण के बाद पाकिस्तान ने टिप्पणी की तो भारत ने करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अल्पसंख्यकों के दमन, कट्टरता और भयावह मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले पाकिस्तान को दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का कोई हक नहीं। पाकिस्तान ने इसे बाबरी मस्जिद की जगह पर बना मंदिर बताकर चिंता जताई थी और भारत में मुस्लिमों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था। जवाब में भारत ने साफ कहा कि बेहतर होगा कि पाकिस्तान अपनी गिरती साख और अंदरूनी हालात पर ध्यान दे, न कि ढोंगपूर्ण प्रवचन दे।
तो राम मंदिर पर ध्वजारोहण का यह ऐतिहासिक पल पाकिस्तान को इतना खल गया कि उसने बयान जारी कर दिया। हालाँकि, भारत ने एक लाइन में उसकी बोलती बंद कर दी! जायसवाल ने कहा, 'पाकिस्तान को सलाह है कि वह भारत के आंतरिक धार्मिक मामलों पर टिप्पणी करने की बजाय अपने घर में झांककर देखे।'
पाकिस्तान ने क्या कहा था?
मंगलवार को ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर अयोध्या में ध्वज फहराने की घटना पर गहरी चिंता जताई थी। बयान में कहा गया था, "ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद की जगह पर बनाए गए तथाकथित ‘राम मंदिर’ पर झंडा फहराना भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए खतरनाक संकेत है। ...6 दिसंबर 1992 को फासीवादी विचारधारा से प्रेरित उग्र भीड़ ने सदियों पुरानी बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था।”
पाकिस्तान ने आगे कहा था, “इसके बाद की न्यायिक प्रक्रिया में दोषियों को बरी कर दिया गया और मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया गया- यह भारतीय राज्य के अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये को दिखाता है।” राम मंदिर पर ध्वजारोहण को पाकिस्तान ने इसे भारत में मुसलमानों के हाशिए पर धकेले जाने और बढ़ती असहिष्णुता का प्रतीक बताया। लेकिन यह पाक के लिए ही उल्टा पड़ गया।
भारत का मुँहतोड़ जवाब
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के हर दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह भारत का पूरी तरह आंतरिक मामला है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर भारत की सैकड़ों साल पुरानी आस्था और सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जैसे देश, जो अपने यहां हिंदू, सिख, ईसाई, अहमदी और शिया समुदायों के साथ लगातार अत्याचार करता रहा है, उसे दूसरों के धार्मिक अधिकारों की चिंता करने का कोई हक नहीं है।पाकिस्तान की करतूत
पाकिस्तान पिछले कई सालों से राम मंदिर के हर मौके पर, चाहे भूमि पूजन हो, प्राण प्रतिष्ठा हो या अब ध्वज फहराना, इसी तरह की आपत्ति जताता रहा है। भारत ने हर बार इसे सिरे से खारिज किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान यह मुद्दा इसलिए उठाता है ताकि घरेलू स्तर पर कट्टरपंथी ताक़तों को खुश रख सके और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को बदनाम करने की कोशिश कर सके।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ लगातार उत्पीड़न की ख़बरें आती रही हैं। खासकर हिंदुओं के ख़िलाफ़ रिकॉर्ड बेहद ही ख़राब रहा है। पाकिस्तान में पिछले एक दशक में सैकड़ों मंदिर तोड़े जा चुके हैं, हजारों हिंदू-सिख परिवार पलायन करने को मजबूर हुए हैं। वहां की सरकार अल्पसंख्यकों को बुनियादी सुरक्षा तक नहीं दे पाती।
अयोध्या में ध्वज फहराने का कार्यक्रम दीपावली के बाद कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित किया गया था, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल हुए। यह मंदिर अब देश-विदेश के करोड़ों रामभक्तों के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है।
पाकिस्तान की टिप्पणी पर भारत का यह कड़ा जवाब एक बार फिर साफ कर देता है- राम मंदिर भारत की सांस्कृतिक और न्यायिक संप्रभुता का विषय है और इसमें किसी बाहरी देश का दखल स्वीकार नहीं किया जाएगा।