India US Trade Deal:भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील रास्ते पर लौटती दिख रही है। अमेरिकी वार्ताकार ब्रेंडन लिंच दिल्ली पहुंच चुके हैं। लेकिन ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो भारत विरोधी बयानों से इस डील को लगातार धक्का पहुंचा रहे हैं। जानिए ताज़ा जानकारीः
राष्ट्रपति ट्रंप व्हाइट हाउस में पीटर नवेरो के साथ
रूसी तेल खरीद पर 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ के कुछ हफ्तों बाद भारत और अमेरिका मंगलवार को ट्रेड डील पर बातचीत की मेज पर लौट आए हैं। यह बातचीत अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की लंबे समय से टाली गई दिल्ली यात्रा के बाद हो रही है, जो दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों में सुधार का संकेत देती है। वाशिंगटन से लगातार निंदा के बाद ट्रंप का लहजा धीरे-धीरे नरम पड़ रहा है, ताकि भारत के साथ संबंधों को बचाया जा सके। लेकिन ट्रंप के एक खास सलाहकार पीटर नवेरो अभी भी काबू से बाहर हैं और वे आए दिन कोई न कोई भारत विरोधी टेढ़ा बयान देते हैं।
अमेरिकी वार्ताकार ब्रेंडन लिंच भारत पहुंचे
मुख्य अमेरिकी वार्ताकार ब्रेंडन लिंच, जो दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि हैं, सोमवार रात 15 सितंबर को भारत पहुंचे। वे मंगलवार को भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल से बातचीत करेंगे। यह यात्रा मूल रूप से 25 से 29 अगस्त के बीच तय थी, लेकिन रूसी तेल खरीद को "यूक्रेन युद्ध के लिए फंडिंग" बताते हुए अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए जाने के कारण इसे रद्द कर दिया गया था। ताजा अपडेट के अनुसार, दोनों पक्षों ने वार्ता को "तेजी से आगे बढ़ाने" का फैसला किया है, और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप तथा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक समझौते पर सकारात्मक रुख व्यक्त किया है। ट्रंप के नामित भारत दूत सर्जियो गोर ने कहा है कि दोनों देश टैरिफ मुद्दे पर "बहुत करीब" हैं, और अगले कुछ हफ्तों में मतभेद सुलझ सकते हैं।
ये क्या नीति हैः नवारो ने फिर भारत पर निशाना साधा
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने ब्रेंडन लिंच की यात्रा से ठीक पहले सोमवार को सीएनबीसी इंटरनेशनल को दिए इंटरव्यू में भारत की व्यापार नीतियों पर फिर से निशाना साधा। उन्होंने कहा, "भारतीय रिफाइनर रूसी रिफाइनरों के साथ आक्रमण के तुरंत बाद साझेदारी में थे... यह पागलपन है, क्योंकि वे अनुचित व्यापार से हमसे पैसा कमाते हैं। वे उस पैसे से रूसी तेल खरीदते हैं, और रूस उसका उपयोग हथियार खरीदने के लिए करता है।" नवारो ने आगे कहा, "भारत वार्ता की मेज पर आ रहा है। व्यापार पक्ष पर उनके बहुत ऊंचे टैरिफ हैं।"भारत ने कहा- रूसी तेल खरीदना जारी रहेगा
ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 2025 में भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर कुल टैरिफ को 50 प्रतिशत कर दिया था, जो रूसी तेल आयात को युद्ध के लिए अप्रत्यक्ष फंडिंग बताते हुए दंड के रूप में था। इससे भारत की जीडीपी वृद्धि पर 0.3 प्रतिशत का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसा कि मूडीज ने अनुमान लगाया है। भारत ने रूसी तेल आयात जारी रखने का फैसला किया है, जो राष्ट्रीय हित का मामला बताते हुए, और वित्त मंत्री ने कहा है कि ऊर्जा सुरक्षा पर समझौता नहीं होगा। फिर भी, सितंबर 2025 में रूसी तेल आयात में कमी आने की संभावना है, क्योंकि राज्य रिफाइनरों ने छूट कम होने के कारण खरीद रोकी है।दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण को अक्टूबर-नवंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखे हुए हैं, जिससे 2030 तक व्यापार को 500 अरब डॉलर तक दोगुना करने की योजना है। वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार 191 अरब डॉलर है। अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसने अप्रैल 2000 से जून 2025 तक 76.26 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) किया है। हाल के दिनों में ट्रंप ने यूरोपीय संघ से भी भारत और चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की मांग की है, ताकि रूस पर दबाव बढ़ाया जा सके।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि वार्ता जारी रहेगी, और दोनों बड़े देशों को बातचीत करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है, जहां कई लोग भारत सरकार की मजबूत स्थिति की सराहना कर रहे हैं, खासकर कृषि और जीएमओ उत्पादों पर अमेरिकी दबाव के खिलाफ। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने भारत पर मक्का (कॉर्न) आयात न करने का आरोप लगाया, लेकिन भारत ने किसानों के हितों की रक्षा पर जोर दिया है।
भारत अमेरिका के बीच मौजूदा बातचीत न सिर्फ व्यापारिक बाधाओं को दूर करने का प्रयास है, बल्कि भारत-अमेरिका साझेदारी की "सीमाहीन संभावनाओं" को अनलॉक करने का भी मौका है। उम्मीद है कि यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक हितों को मजबूत करेगा।