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न्यूटन से पहले भारतीय शास्त्रों में था गुरुत्वाकर्षण का जिक्र : निशंक

सैकड़ों साल पहले भौतिक विज्ञानी सर आइजक न्यूटन ने दुनिया को गुरुत्वाकर्षण के बारे में बताया था। लेकिन देश के मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है कि भारतीय शास्त्रों में इस बात का जिक्र न्यूटन के बताने से भी पहले से है। इससे पहले राजस्थान की बीजेपी सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने भी कहा था कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से एक हज़ार साल पहले ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था। न्यूटन ने बताया था कि गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार किन्हीं दो पिंडों के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है। उन्होंने कहा था कि गुरुत्व वह आकर्षण बल है, जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है। ऐसे आधुनिक समय में जब एक ओर चीन 5जी की टेस्टिंग कर चुका है, वहाँ हमारे देश के मानव संसाधन मंत्री का बयान बेहद अज़ीब लगता है और इस बयान का क्या आधार है, यह भी समझ नहीं आता। 
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निशंक ने कार्यक्रम में भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (एनआईटी) के निदेशकों से अपील की कि वे प्राचीन भारतीय विज्ञान के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा शोध करें जिससे यह साबित हो सके कि भारत इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ था। निशंक शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित ज्ञानोत्सव - 2076 कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में देश की नई शिक्षा नीति को लेकर चर्चा होनी थी। कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत, योग गुरु बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण और संघ से जुड़े कई पदाधिकारी शामिल थे। 
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निशंक ने कहा, ‘जब मैं यह बात कहता हूँ कि भारत सभी क्षेत्रों में आगे था और इनमें विज्ञान और प्रोद्यौगिकी भी शामिल है तो आज की युवा पीढ़ी मुझसे सवाल करती है और कहती है कि शिक्षा मंत्री क्या कह रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे देश की महान सभ्यता और इतिहास के बारे में युवा पीढ़ी को नहीं बताया गया। इसीलिए मैं आईआईटी और एनआईटी के निदेशकों से अपील करना चाहता हूँ कि उन्हें प्राचीन ज्ञान के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा शोध करना चाहिए।’  
निशंक ने कहा कि आईआईटी और एनआईटी के सामने यह लक्ष्य है कि वह इस बात को साबित करें कि संस्कृत वास्तव में एक वैज्ञानिक भाषा है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर हम पर इसलिए सवाल उठाये जाते हैं क्योंकि हम संस्कृत की अहमियत को साबित करने में असफल रहे हैं।
निशंक ने कहा, ‘नासा के वैज्ञानिकों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसमें शब्द उसी तरह लिखे जाते हैं, जिस तरह बोले जाते हैं या जिस तरह हम सोचते हैं। उन्होंने कहा कि अगर नासा संस्कृत को सबसे ज़्यादा वैज्ञानिक भाषा मान सकता है तो आपको क्या परेशानी है?’ 
शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर आप संस्कृत से पुरानी किसी भाषा के बारे में जानते हैं तो हमें बताएँ।’
निशंक ने कार्यक्रम में इस बात का भी दावा किया कि ऋषि प्रणव ने सबसे पहले एटम और अणु की खोज की थी। लेकिन मजेदार बात यह है कि इससे पहले निशंक इस बात का दावा कर चुके हैं कि चरक ऋषि ने सबसे पहले एटम और अणु की खोज की थी। निशंक इस बात की भी जोरदार पैरवी करते रहे हैं कि हमारे संवाद की भाषा हिंदी होनी चाहिए।

रडार को लेकर उड़ा था मोदी का मजाक

लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी ऐसे ही अज़ीब बयान पर लोगों ने मजाक उड़ाया था। नरेंद्र मोदी ने बालाकोट हवाई हमले को लेकर कहा था कि बादलों की वजह से हवाई जहाज़ रडार की पकड़ में नहीं आते, यह सोच कर ही उन्होंने हमले का आदेश दे दिया था। सच तो यह है कि रडार इलेक्ट्रॉनिक तरंगों पर काम करता है और वह ख़राब मौसम में भी बहुत दूर मौजूद चीजों को भी बिल्कुल सही ढंग से ट्रैक कर लेता है और उसके कामकाज से मौसम का कोई रिश्ता ही नहीं है।
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि विश्व को प्लास्टिक सर्जरी का कौशल भारत ने दिया है। मोदी ने कहा था कि दुनिया में सबसे पहली प्लास्टिक सर्जरी गणेश जी की हुई थी जब उनके सिर की जगह हाथी का सिर लगा दिया गया था।

महाभारत युग में भी था इंटरनेट

त्रिपुरा की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री बिप्लब देब भी अपने कई विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहे हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि देश में महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएँ उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे। कुछ समय पहले उत्तर-प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा था कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, परमाणु परीक्षण और इंटरनेट जैसी तमाम आधुनिक प्रक्रियाएँ पौराणिक काल में ही शुरू हुई थीं। 

टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक से पैदा हुए थे कौरव

कुछ समय पहले जब आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव ने कहा था कि कौरव स्टेम सेल और टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक से पैदा हुए थे, तब भी इसे लेकर लोगों ने हैरानी जताई थी। राव ने कहा था कि भगवान राम के अस्त्र और शस्त्र और विष्णु का सुदर्शन चक्र, ये ऐसे हथियार थे, जो अपने लक्ष्य पर हमला करने के बाद वापस लौट आते थे। कुलपति ने यह भी कहा था कि इससे यह बात साबित होती है कि मिसाइलों का विज्ञान भारत के लिए नया नहीं है और यह हज़ारों साल पहले भी था।
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क़मर वहीद नक़वी
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