ऐसा लगता है कि कांग्रेस सुधरने को तैयार नहीं हैं। जो पार्टी की बेहतरी चाहते हैं उन्हे ज़रूर निशाने पर लिया जा रहा है। दरबारी और चापलूस चिठ्ठी लिखने वालों पर ही हमले कर रहे है। क्या यह सोनिया-राहुल की मर्ज़ी से हो रहा है? अब चिट्ठी लिखने वालों का दर्द खुलकर सामने आ रहा है। वे बोलने लगे हैं।