सरकार ने अब सोनम वांगचुक पर एक और बड़ी कार्रवाई की है। उनकी संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख यानी SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है। एफ़सीआरए यानी विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम लाइसेंस के माध्यम से ही संस्थाएँ विदेशों से चंदा ले सकती हैं। सीबीआई की शुरुआती जांच और गृह मंत्रालय के आरोपों के बाद यह कार्रवाई हुई है। लद्दाख में छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य की मांग के लिए भड़के हिंसक प्रदर्शनों के बीच केंद्र सरकार वांगचुक के ख़िलाफ़ एक के बाद एक कार्रवाई कर रही है। गृह मंत्रालय ने एक दिन पहले हुई हिंसा के लिए वांगचुक के कथित भड़काऊ भाषण को ज़िम्मेदार ठहराया था।  इधर, वांगचुक ने इसे राजनीतिक उत्पीड़न करार दिया है। उन्होंने कहा है कि हमने एफ़सीआरए लाइसेंस नहीं लिया, क्योंकि हम विदेशी फंड पर निर्भर नहीं होना चाहते। उन्होंने कहा है कि वैज्ञानिक जानकारी देने के बदले उन्होंने शुल्क लिया है।

गृह मंत्रालय के उप सचिव राजेश कुमार के आदेश के अनुसार, SECMOL पर एफ़सीआरए के उल्लंघन का आरोप है। मंत्रालय ने कई गड़बड़ियों का हवाला दिया है। इसमें 2021-22 में वांगचुक द्वारा SECMOL के एफ़सीआरए खाते में 3.35 लाख रुपये जमा करना शामिल है। मंत्रालय ने इसे एफ़सीआरए का उल्लंघन माना।
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द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस पर संस्था ने जवाब दिया कि यह राशि 2015 में एफ़सीआरए फंड से खरीदी गई एक बस को बेचने से मिली थी और नियमों के अनुसार, यह पैसा एफ़सीआरए खाते में जमा करना था। लेकिन मंत्रालय ने कहा कि ऐसा कोई जमा रिकॉर्ड में नहीं मिला। मंत्रालय का कहना है कि यह पैसा नकद में लिया गया, जो नियम 17 के खिलाफ है। साथ ही, संस्था ने इसे वांगचुक का चंदा बताया, लेकिन यह एफ़सीआरए खाते में नहीं दिखा, जो नियम 18 का उल्लंघन है।

54600 रुपये की ग़लत एंट्री?

मंत्रालय ने कहा कि 2020-21 में तीन लोगों द्वारा दिए गए 54600 रुपये के स्थानीय फंड को एफ़सीआरए खाते में जमा किया गया, जो नियम 17 का उल्लंघन है। संस्था ने माना कि यह भूलवश गलती हो गई थी। स्वयंसेवकों ने खाने और रहने के लिए यह पैसा दिया था, लेकिन इसे गलती से एफ़सीआरए खाते में डाल दिया गया, जबकि इसे स्थानीय खाते में जाना चाहिए था।

4.93 लाख रुपये का विदेशी चंदा?

गृह मंत्रालय ने कहा कि संस्था ने विदेशी दानदाता फ्यूचर अर्थ इंस्टीट्यूट के फ्राम्स्टिडजॉर्डन से 4.93 लाख रुपये लिए, जो नियम 12(4) का उल्लंघन है। संस्था ने कहा कि यह पैसा प्रवास, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वॉर्मिंग, खाद्य सुरक्षा और जैविक खेती पर कार्यशालाओं के लिए था, जो उनके उद्देश्यों के अनुरूप है। लेकिन मंत्रालय ने कहा कि दानदाता ने देश की संप्रभुता पर एक अध्ययन को भी समर्थन दिया और ऐसे उद्देश्यों के लिए विदेशी दान लेना देश के हित के खिलाफ है।
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मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया कि संस्था ने विदेशी दान के रूप में 79,200 रुपये पाए लेकिन एफ़सीआरए खाते में दर्ज नहीं किया गया। संस्था ने जवाब में कहा कि यह कोई अलग से प्राप्त राशि नहीं थी, बल्कि यह कर्मचारियों के वेतन और फेलो के भत्ते से सीधे काटे गए भोजन शुल्क की राशि थी, जिसे लेखा-जोखा में दर्ज किया गया था और भोजन पर खर्च किया गया था।

सोनम वांगचुक का पक्ष

सोनम वांगचुक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक उत्पीड़न बताया। उन्होंने कहा कि लगभग 10 दिन पहले सीबीआई की एक टीम ने एक आदेश के साथ मेरे पास आकर कहा कि गृह मंत्रालय की शिकायत के आधार पर वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख यानी HIAL और SECMOL में एफ़सीआरए उल्लंघन की जांच कर रहे हैं। 

वांगचुक ने एएनआई से कहा, 'हमने एफ़सीआरए लाइसेंस नहीं लिया, क्योंकि हम विदेशी फंड पर निर्भर नहीं होना चाहते। हम अपनी जानकारी और ज्ञान का निर्यात करते हैं और उससे राजस्व अर्जित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने हमारे पैसिव सोलर हीटेड बिल्डिंग को अफगानिस्तान ले जाना चाहा, जिसके लिए उन्होंने हमें शुल्क दिया। स्विट्जरलैंड और इटली के संगठनों से भी हमें हमारे कृत्रिम ग्लेशियरों की जानकारी देने के लिए कर सहित शुल्क मिला।'

वांगचुक ने यह भी बताया कि सीबीआई ने 2022-24 के बीच प्राप्त फंड की जानकारी मांगी, लेकिन बाद में 2020 और 2021 के खातों और अन्य स्कूलों के दस्तावेज भी मांगे, जो शिकायत के दायरे से बाहर थे।

उन्होंने कहा, 'लद्दाख में कर नहीं लगता, फिर भी मैं स्वेच्छा से कर चुकाता हूं और मुझे आयकर समन मिल रहे हैं। इसके अलावा चार साल पुरानी एक शिकायत को फिर से उठाया गया कि मजदूरों को उचित भुगतान नहीं किया गया। यह हर तरफ से हम पर हमला है।' वांगचुक ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ कई अन्य कार्रवाइयां की जा रही हैं।

लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन

यह विवाद तब सामने आया जब लद्दाख में छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और हिल काउंसिल को निशाना बनाया, वाहनों में आग लगा दी, और पुलिस पर पथराव किया। पुलिस और अर्धसैनिक बलों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा।

गृह मंत्रालय ने इन हिंसक प्रदर्शनों के लिए वांगचुक पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया और इसको ज़िम्मेदार ठहराया। मंत्रालय ने वांगचुक द्वारा किए गए अरब स्प्रिंग और नेपाल के हालिया जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के उल्लेख का ज़िक्र किया था। मंत्रालय ने दावा किया कि वांगचुक ने लेह एपेक्स बॉडी यानी एबीएल और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस यानी केडीए के साथ चल रही बातचीत के बावजूद अपनी भूख हड़ताल जारी रखी, जिससे हिंसा भड़की।
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वांगचुक ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा, 'मुझे दुख है कि लेह में प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ हुई। मेरा शांतिपूर्ण रास्ते का संदेश आज विफल रहा। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि कृपया इस बकवास को रोकें। यह केवल हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचाता है।' हिंसा के बाद उन्होंने 15 दिनों तक चली अपनी भूख हड़ताल को भी समाप्त कर दिया। 

सोनम वांगचुक का योगदान

सोनम वांगचुक को 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने SECMOL और HIAL के माध्यम से लद्दाख में शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। SECMOL जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त शिक्षा देता है, जबकि HIAL में छात्रों को प्रोजेक्ट कार्य के लिए वजीफा दिया जाता है। उनकी ‘आइस स्टूपा’ तकनीक ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा है।

SECMOL का एफ़सीआरए लाइसेंस रद्द होना और वांगचुक के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच ने लद्दाख में तनाव को और बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय इसे एफ़सीआरए उल्लंघन का मामला बता रहा है, वहीं वांगचुक इसे अपने खिलाफ राजनीतिक उत्पीड़न मानते हैं। लद्दाख में छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने की मांग के साथ चल रहे प्रदर्शन और हिंसा ने इस मामले को और जटिल बना दिया है।