महाराष्ट्र सरकार 42000 फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द करने जा रही है। क्या ये बांग्लादेशी नागरिक हैं? वहीं दिल्ली में एक बंगाली महिला द्वारा पुलिस पर उत्पीड़न के आरोपों ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।
महाराष्ट्र फर्जी जन्म प्रमाणपत्र रद्द करेगा, बांग्लादेशी होने का आरोप
देश भर में 'घुसपैठिया' क़रार देकर बांग्ला बोलने वालों पर की जा रही कार्रवाई पर हंगामे के बीच महाराष्ट्र सरकार के एक फ़ैसले पर बड़ा बवाल मच सकता है। महाराष्ट्र सरकार ने अवैध रूप से राज्य में जारी किए गए 42000 से अधिक फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द करने की घोषणा की है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि ये फर्जी प्रमाण पत्र राज्य में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को जारी किए गए थे। उन्होंने कहा है कि यह कार्रवाई 15 अगस्त 2025 तक पूरी कर ली जाएगी।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने दावा किया कि हजारों बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। इस बीच, सरकार ने विशेष जाँच दल यानी एसआईटी का गठन किया और अब सख़्त क़दम उठाए जा रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने पाया कि राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों ने तहसीलदारों और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए जन्म प्रमाणपत्र हासिल किए। बावनकुले ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। बावनकुले ने बताया कि इन प्रमाणपत्रों की प्रतियां राजस्व और स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाएंगी ताकि रिकॉर्ड को अपडेट किया जा सके।
सरकारी कार्रवाई और निलंबन
यह मामला सामने आने के बाद इसी साल जनवरी में मालेगांव में दो तहसीलदारों, नितिनकुमार देवरे और संदीप धारणकर को निलंबित कर दिया गया। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने जनवरी में दावा किया था कि अकोला में ही 15000 से ज़्यादा फर्जी प्रमाणपत्र बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को जारी किए गए। सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जन्म और मृत्यु पंजीकरण नियमों में संशोधन किया है। अब एक साल से अधिक पुराने जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों के लिए तीन-स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया अनिवार्य होगी, जिसमें पुलिस सत्यापन भी शामिल है।
टास्क फोर्स और डिपोर्टेशन
मंत्री बावनकुले ने बुधवार को बताया कि एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जो जिला कलेक्टरों के साथ मिलकर फर्जी प्रमाणपत्रों की पहचान और रद्द करने की प्रक्रिया को तेज कर रही है। इसके साथ ही, अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई भी तेज की गई है। 2021 में 109, 2022 में 77, 2023 में 127 और 2024 में 716 गिरफ्तारियां और 202 निर्वासन दर्ज किए गए हैं।
सोमैया के आरोप और जाँच
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने इस घोटाले को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि सरकारी कर्मचारियों, एजेंटों और आवेदकों के बीच साठगांठ है। उन्होंने अकोला, मालेगांव और अमरावती को अवैध आप्रवासन का केंद्र बताया।
सरकार ने इन आरोपों के बाद जनवरी 2025 में एक विशेष जांच दल का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता नासिक जोन के विशेष पुलिस महानिरीक्षक दत्ता कराले कर रहे हैं।
अवैध आप्रवासन पर बहस
इस मामले ने राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध आप्रवासन जैसे मुद्दों पर बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया है, जबकि बीजेपी ने इसे कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक कदम बताया। सोमैया ने कहा कि यह घोटाला सरकारी तंत्र की विफलता को दिखाता है और इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
यह कार्रवाई न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में अवैध आप्रवासन के ख़िलाफ़ एक बड़े कदम के रूप में देखी जा रही है। दिल्ली और हरियाणा में की जा रही कार्रवाई पर विवाद हुआ है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं। इसी बीच, पश्चिम बंगाल की एक महिला को लेकर विवाद गहरा गया है।
दिल्ली में एक बंगाली महिला द्वारा दिल्ली पुलिस पर लगाए गए उत्पीड़न के आरोपों ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस मामले में तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर महिला को सामने लाया, जहाँ उसने अपने पुराने आरोपों को दोहराया। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले को ट्वीट कर बीजेपी पर हमला किया। उधर, बीजेपी सांसद ने ममता के ख़िलाफ़ दिल्ली में एफ़आईआर दर्ज कराई, जबकि टीएमसी ने जवाब में कोलकाता में दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई।
महिला ने क्या बताई पीड़ा?
टीएमसी ने कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर सजनूर परवीन नाम की महिला को पेश किया, जिसने दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। सजनूर ने दावा किया कि 25 जुलाई को खुद को दिल्ली पुलिसकर्मी बताने वाले चार लोग उनके घर आए और उन्हें बांग्लादेशी बताकर प्रताड़ित किया। उसने कहा कि अगले दिन उसे और उसके बच्चे को एक सुनसान जगह पर ले जाया गया, जहां उनसे 25,000 रुपये की उगाही की गई और मारपीट की गई। सजनूर ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उससे जबरन कागजों पर हस्ताक्षर कराए और उसका मोबाइल फोन छीन लिया।
ममता बनर्जी का आरोप
ममता बनर्जी ने 27 जुलाई को एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए दिल्ली पुलिस पर बंगाली भाषी प्रवासियों के खिलाफ अत्याचार का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, 'नृशंस! भयानक! देखिए कैसे दिल्ली पुलिस ने मालदा के चंचल से आए एक प्रवासी परिवार के बच्चे और उसकी माँ को बेरहमी से पीटा। देखिए कैसे बंगालियों के खिलाफ देश में भाजपा द्वारा फैलाए गए भाषाई आतंक के शासन में एक बच्चा भी हिंसा की क्रूरता से नहीं बच पा रहा है!' ममता ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन और लोकतंत्र पर हमला करार दिया।
ममता बनर्जी
दिल्ली पुलिस का खंडन
दिल्ली पुलिस ने ममता बनर्जी के दावों को खारिज करते हुए वीडियो को फर्जी और राजनीति से प्रेरित बताया। पूर्वी दिल्ली के डीसीपी अभिषेक धानिया ने कहा कि जांच में पाया गया कि सजनूर परवीन ने मालदा के एक टीएमसी नेता बप्पी खान के कहने पर यह वीडियो बनाया था। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयानों के आधार पर दावा किया कि कोई उत्पीड़न या उगाही की घटना नहीं हुई। महिला ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने राजनीतिक कार्यकर्ता के इशारे पर झूठी कहानी गढ़ी थी।
बीजेपी सांसद सौमेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी के खिलाफ दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने ममता पर फर्जी वीडियो फैलाकर साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। सौमेंदु ने मांग की कि ममता के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए।
टीएमसी की जवाबी एफ़आईआर
जवाब में टीएमसी नेता कुणाल घोष सजनूर परवीन और उसके परिवार के साथ कोलकाता के प्रगति मैदान थाने पहुंचे और दिल्ली पुलिस के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज कराई। टीएमसी ने दिल्ली पुलिस पर बंगाली भाषी लोगों को प्रताड़ित करने और सजनूर के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया।