GST Reform 2.0 and States: दो-स्तरीय टैक्स दरों वाले प्रस्तावित जीएसटी ढांचे से प्रमुख राज्यों को सालाना ₹7,000-9,000 करोड़ का नुकसान हो सकता है। दूसरी तरफ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इनकम टैक्स के मुकाबले जीएसटी में छूट आम लोगों को फायदा देगी।
प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर राज्यों की चिंता बढ़ गई है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद बड़े राज्यों को हर साल लगभग 7,000 से 9,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व नुकसान होने की आशंका जताई गई है। अधिकारियों के अनुसार, यह बदलाव चालू वित्त वर्ष के मध्य से लागू हो सकता है। पीएम मोदी ने इसे दीवाली तोहफा बताया था। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि प्रस्तावित जीएसटी स्लैब से आम लोगों को फायदा होगा, यह फायदा इनकम टैक्स के मुकाबले ज्यादा बेहतर है।
हालांकि राज्यों का कहना है कि पहले ही सीमित आय स्रोतों के कारण उनकी वित्तीय स्थिति दबाव में है और यदि यह घाटा हुआ तो सामाजिक विकास योजनाओं और प्रशासनिक खर्च पर असर पड़ेगा।
राज्यों का अनुमान है कि सुधारों के बाद उनकी राजस्व वृद्धि दर घटकर 8% रह जाएगी। यह दर कुछ साल पहले 11.6% और जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने से पहले 14% थी।
टैक्स ढांचे में बड़ा बदलाव
नई जीएसटी प्रणाली में दो मुख्य दरें प्रस्तावित हैं- 5% और 18%। इसके अलावा तंबाकू और शराब जैसी पाप वस्तुओं पर 40% टैक्स लगाने की योजना है। केंद्र ने सीमेंट और व्हाइट गुड्स (जैसे फ्रिज, वॉशिंग मशीन) को 28% से घटाकर 18% स्लैब में लाने का प्रस्ताव दिया है। राज्यों का कहना है कि इन वस्तुओं पर टैक्स घटाने से उनकी आमदनी में गिरावट होगी, क्योंकि ऑटोमोबाइल, सीमेंट और व्हाइट गुड्स उनके राजस्व का बड़ा हिस्सा हैं।
केंद्र और राज्यों पर असर
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन सुधारों से सरकार की कुल कमाई में सालाना 0.4% जीडीपी का नुकसान हो सकता है। इसमें राज्यों को अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा। यदि सुधार अक्टूबर 2025 से लागू हुए तो 2025-26 में सरकार की कुल आय पर 0.2% जीडीपी का असर पड़ेगा।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा,
"यह बदलाव केंद्र के राजस्व पर भी दबाव बढ़ाएगा। पहले तिमाही में जीएसटी से केवल 5% की वृद्धि हुई है, जबकि बजट में 13% का अनुमान था।"
कुछ राज्यों ने तंबाकू पर टैक्स दर 28% से बढ़ाकर 40% करने के प्रस्ताव पर भी चिंता जताई है। हालांकि केंद्र का कहना है कि तंबाकू पर कुल टैक्स प्रभाव 88% (28% टैक्स + उपकर) ही रहेगा।
जीएसटी पर राज्यों की मांग
राज्यों का कहना है कि नई व्यवस्था से उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर होगी और विकास कार्यों में बाधा आ सकती है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इस मुद्दे पर आपसी सहमति से संतुलित समाधान निकाला जाए, ताकि सुधारों का लाभ सभी को बराबर मिल सके।
जीएसटी, इनकम टैक्स और आपकी जेबः इनकम टैक्स में राहत का हमेशा स्वागत किया जाता है। लेकिन हमारी रोज़मर्रा की बचत तमाम सामानों पर हमारी खरीद पर निर्भर करती है। रोज़मर्रा की बचत के लिए जीएसटी में कटौती भारतीय परिवारों को आयकर में छूट की तुलना में कहीं अधिक ठोस फायदा देती है। इनकम टैक्स के विपरीत, जो केवल एक निश्चित सीमा से अधिक आय वालों पर लागू होता है, जीएसटी एक अप्रत्यक्ष टैक्स है जो लगभग हर लेन-देन पर लगाया जाता है। आपके द्वारा खरीदी गई लगभग हर चीज़ पर लागू होता है।
सीए सिद्धार्थ सुराना ने इंडिया टुडे को इसे सरल भाषा में समझाया: "जीएसटी की वसूली सप्लाई की गई वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य पर प्रतिशत के रूप में की जाती है। इसका किसी आम आदमी के आय वर्ग से कोई संबंध नहीं है। जीएसटी रोज़ाना आपके लेनदेन को प्रभावित करता है।"
इनकम टैक्स रिटरने सिर्फ 6% देते हैं, जीएसटी हर कोई देता है
जीएसटी छूट इसलिए मायने रखती है क्योंकि हर परिवार इनकम टैक्स नहीं देता (6% से भी कम भारतीय आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं)। लेकिन लगभग हर किसी से खरीदारी पर जीएसटी वसूला जाता है। चाहे वो किराने के सामान (ग्रोसरी), कपड़े और दवाइयों से लेकर रेस्टोरेंट के बिल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विसेज तक हो, ज़्यादातर वस्तुओं के लिए जीएसटी लिया जाता है। कई बार तो जीएसटी जोड़कर सामान की कीमत वसूली जाती है। आपको हर बार खरीदारी पर इसका भुगतान करना पड़ता है। इसका मतलब यह हुआ कि जब सरकार जीएसटी दरों में कटौती करेगी तो इसका असर तुरंत दिखाई देता है: कीमतें सभी के लिए कम हो जाती हैं, न कि केवल उन लोगों के लिए जो इनकम टैक्स देते हैं।अभी जीएसटी स्लैब क्या हैं: अभी चार-स्तरीय जीएसटी प्रणाली है- 5%, 12%, 18%, 28%
प्रस्तावित जीएसटी स्लैबः सरकार अब दो स्लैब 5% और 18% रखने जा रही है।
तंबाकू, पान मसाला पर ः एकमुश्त 40% जीएसटी रहेगा। ऐसा तंबाकू और पान मसाले से होने वाली बीमारियों के मद्देनज़र फैसला लिया गया है।
क्या सस्ता, कैसे बचतः आवश्यक वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं, जिन पर 12% जीएसटी स्लैब होगा। लगभग 99% वस्तुएँ, जैसे पैकेज्ड खाद्य पदार्थ (घी, मक्खन, फलों का रस, नारियल पानी) और अधिकांश मेडिकल उपकरण इसमें आ जाएंगी। जिस पर 5% स्लैब होगा, घरेलू बचत में फौरन फायदा होगा।
अभी छोटी कारें, दोपहिया वाहन, एयर कंडीशनर, 32 इंच तक के टेलीविजन, डिशवॉशर, सीमेंट और कुछ बीमा और वित्तीय उत्पाद 28% स्लैब में आते हैं। लेकिन जो प्रस्तावित है, ये सारे सामान 18% स्लैब में आ सकते हैं।