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आज का मोदीराजः जनगणना न कराने का मुद्दा उठाया तो स्थायी कमेटी भंग कर दी

मोदी सरकार के केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने प्रख्यात अर्थशास्त्री और देश के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनाब सेन की अध्यक्षता वाली सांख्यिकी पर 14 सदस्यीय स्थायी समिति (एससीओएस) को चुपचाप भंग कर दिया। क्योंकि इसके सदस्यों ने जनगणना में देरी पर सवाल उठाया था।
हालांकि मंत्रालय के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की महानिदेशक गीता सिंह राठौड़ ने सदस्यों को भेजे गए ईमेल में कमेटी भंग करने की वजह कुछ और बतायी है। ईमेल के अनुसार, इसे खत्म करने का कारण यह है कि समिति का काम हाल ही में गठित राष्ट्रीय संचालन समिति के साथ ओवरलैप हो गया है। इस ईमेल की एक प्रति द हिंदू के पास है।
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एनएसएसओ के महानिदेशक का कहना है कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के लिए एक नई संचालन समिति के साथ काम ओवरलैप होने के कारण पैनल को खत्म किया जा रहा है। जबकि पैनल के प्रमुख प्रोनाब सेन का कहना है कि सदस्यों ने हर बैठक में जनगणना में देरी को मुद्दा बनाया था। लेकिन कभी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। देश में जनगणना आखिरी बार 2011 में आयोजित की गई थी।
कांग्रेस ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इसके सदस्य आये दिन जनगणना में देरी का सवाल उठा रहे थे।
कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, “और किस लिए? केवल सरकार से बार-बार यह पूछने के लिए कि 2021 में होने वाली अंतिम दशकीय जनगणना अभी तक क्यों नहीं की गई है, जिससे अन्य बातों के अलावा, कम से कम 10 करोड़ भारतीयों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013/पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राशन लाभ से वंचित कर दिया गया है।'' 
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क़मर वहीद नक़वी
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