पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई। यह घटना 2000 और 2002 में अमेरिका के हाई-प्रोफाइल दौरे के दौरान हुए घातक हमलों की याद दिलाती है। कश्मीर में सुरक्षा चुनौतियां कभी कम नहीं हुईं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने न केवल देश को झकझोर दिया है, बल्कि 2000 और 2002 में हुई आतंकी घटनाओं की भयावह यादें भी ताजा कर दी हैं। यह हमला ऐसे समय में हुआ जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस भारत के दौरे पर थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे। इस हमले में कम से कम 28 लोगों की मौत हुई, जिनमें दो विदेशी पर्यटक, स्थानीय लोग और एक भारतीय नौसेना अधिकारी शामिल हैं। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी अपना सऊदी अरब दौरा बीच में ही छोड़कर भारत लौट आए हैं। दिल्ली में बुधवार को हाईलेवल मीटिंग चल रही है।
पहलगाम के बैसरण घास के मैदान में, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए "मिनी स्विट्जरलैंड" के नाम से जाना जाता है, मंगलवार दोपहर करीब 1:30 बजे चार आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। यहां पैदल या घोड़े की सवारी से ही पहुंचा जा सकता है, और उस समय वहां 1,000 से 1,500 पर्यटक मौजूद थे। हालांकि टीवी चैनल दो हजार पर्यटक बता रहे हैं। हमले में 28 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। इस दौरान वहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। यह हकीकत है कि जितने पर्यटक वहां हैं, उससे कई गुणा ज्यादा सुरक्षा बल तैनात हैं। फिर भी यह घटना हुई।
पुलिस के अनुसार, आतंकवादी सेना की वर्दी में थे और उन्होंने धर्म विशेष के पर्यटकों को निशाना बनाया। एक प्रत्यक्षदर्शी, पुणे की असावरी जगदाले ने बताया कि आतंकवादियों ने उनके पिता और चाचा से कलमा पढ़ने को कहा, जो वो नहीं पढ़ सके। फिर उन्हें गोली मार दी।
पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा के एक सहयोगी संगठन, द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। यह 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद घाटी में नागरिकों पर सबसे घातक हमला है।
यह हमला 2000 और 2002 की उन आतंकी घटनाओं की याद दिलाता है, जो उच्च-स्तरीय अमेरिकी दौरों के दौरान हुई थीं। 20 मार्च 2000 को, अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे से ठीक पहले, अनंतनाग जिले के चट्टूसिंहपोरा गांव में 36 सिख समुदाय के लोगों की हत्या कर दी गई थी। आतंकवादी सेना की वर्दी में आए थे और उन्होंने ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी।
इसी तरह, 14 मई 2002 को, जब अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री क्रिस्टीना बी. रोक्का भारत दौरे पर थीं, जम्मू के पास कालुचक में एक आतंकी हमले में 30 लोग मारे गए थे, जिनमें 10 बच्चे और आठ महिलाएं शामिल थीं। इन हमलों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना और भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना था।
पाकिस्तान की भूमिका पर सवालः यह हमला पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के उस बयान के एक सप्ताह बाद हुआ, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की "जुगुलर वेन" (जीवन रेखा) बताया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बयान की कड़ी निंदा की थी। जम्मू के बीजेपी नेता रविंदर रैना ने इस हमले के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा की और सऊदी अरब से लौटकर दिल्ली में आपातकालीन बैठक बुलाई। उन्होंने कहा, "इस जघन्य कृत्य के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।" गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंचे और सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी हमले की निंदा की, जिसमें अब्दुल्ला ने इसे "हाल के वर्षों में नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला" बताया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, फ्रांस, यूक्रेन, जापान और अन्य देशों ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने कहा, "हम इस भयावह हमले से दुखी हैं। हम भारत के लोगों के साथ हैं।"
2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में पर्यटन में भारी वृद्धि हुई थी, जिसे सामान्य स्थिति और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माना जा रहा था। लेकिन इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पर्यटकों में डर फैल गया है, और कई ने अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों की तलाश में बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है। दिल्ली सहित देश के अन्य हिस्सों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
यह हमला न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए एक बड़ी चुनौती भी है। सरकार ने वादा किया है कि आतंकवादियों को कड़ी सजा दी जाएगी, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर कश्मीर में शांति और स्थिरता की नाजुक स्थिति को उजागर कर दिया है।