पाकिस्तान ने एक बार फिर सिंधु जल संधि पर बातचीत करने की गुहार लगाई है। इसके लिए इसने भारत को पत्र लिखा है, लेकिन भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। संदेश साफ़ है कि 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।' तो सवाल है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर कार्रवाई करेगा या फिर संधि से हाथ धोकर आर्थिक नुक़सान झेलता रहेगा?