विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में महामारी ने 47 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ली थी। डब्ल्यूएचओ ने उन खबरों की पुष्टि कर दी है जब कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे, ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी।
उस समय तक दुनिया के कईं विश्वविद्यालय और बहुत से प्रतिष्ठित संस्थान सच को खंगाल कर निकालने की कोशिशों में लग चुके थे। टोरांटो विश्वविद्यालय के महामारी विशेषज्ञ प्रभात झा ने अपनी टीम के साथ भारत का विशेष तौर पर अध्ययन किया। पिछले साल सिंतबर के अंत में वे इस नतीजे पर पहुँचे कि भारत में कोविड की वजह से मरने वालों की वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों के मुकाबले छह से सात गुना तक ज्यादा है।